राजस्थानः गुर्जरों सहित 5 जातियों को OBC में 5 % आरक्षण देने का विधेयक पारित

Friday, Oct 27, 2017 - 10:48 AM (IST)

जयपुर: राजस्थान विधानसभा ने राजस्थान पिछड़ा वर्ग (राज्य की शैक्षिक संस्थाओं में सीटों और राज्य के अधीन सेवाओं में नियुक्तियों और पदों का आरक्षण) विधेयक, 2017 ध्वनिमत से पारित कर दिया।   विधेयक के पारित होने के बाद ओबीसी का आरक्षण इक्कीस प्रतिशत से बढ़कर छब्बीस प्रतिशत हो जाएगा। राजस्थान में मौजुदा समय एससी सौलह, एसटी बारह और ओबीसी इक्कीस प्रतिशत है। विधेयक के पारित होने से ओबीसी का आरक्षण छब्बीस प्रतिशत होने से कुल आरक्षण बढ़कर 54 प्रतिशत हो जायेगे।  

इस विधेयक के पारित होने से गुर्जरों सहित पांच जातियों को ओबीसी में पांच प्रतिशत आरक्षण देने का रास्ता साफ हो गया है। लेकिन नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी ने नियम सम्मत नहीं होने की वजह से न्यायालय में ठहर नहीं पाने की संभावना जताई है।  सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ. अरुण चतुर्वेदी ने विधेयक पर हुई बहस का जवाब देते हुए कहा कि यह विधेयक सामाजिक न्याय के सिद्धांत के आधार पर लाया गया है। आरक्षण पर गठित विभिन्न आयोगों द्वारा 5 जातियों को घुमन्तू तथा अर्धघुमन्तू माना गया है, जिन्हें आरक्षण प्रदान कर शैक्षिक तथा सामाजिक न्याय दिया जाना आवश्यक है। 

 डॉ. चतुर्वेदी ने कहा कि वर्तमान में पिछड़ा वर्गों की सूची में 91 जातियां सम्मिलित हैं और वे राज्य की कुल जनसंख्या के लगभग 52 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करती हैं। राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने राजस्थान में पिछड़ा वर्गों की जनसंख्या 52 प्रतिशत के आसपास होने का अनुमान लगाया है, इसलिए जनसंख्या की मात्रा को देखते हुए पिछड़े वर्गों के आरक्षण के प्रतिशत को बढ़ाए जाने की आवश्यकता है।   डॉ. चतुर्वेदी ने कहा कि इन्द्रा साहनी के मामले में परिकल्पित विशेष परिस्थितियां राज्य में विद्यमान है और पिछड़े वर्गों का पर्याप्त प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए 50 प्रतिशत की सीमा से आगे बढऩे के लिए पर्याप्त आधार हैं। 

  उन्होंने कहा कि पांच जातियों (बंजारा/बालदिया/लबाना, गाडिया लोहार/गाडोलिया, गूजर/गुर्जर, राईका/रैबारी/देबासी, गडरिया/गाडरी/गायरी) का एक अलग वर्ग गठित किया गया और उनको वर्ष 2015 में एक अलग अधिनियम द्वारा 5 प्रतिशत आरक्षण दिया गया।  सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री ने कहा किइन जातियों को इन्द्रा साहनी के मामले में अधिकाधिक 50 प्रतिशत की सीमा के भीतर 1 प्रतिशत और उस सीमा के बाहर 4 प्रतिशत आरक्षण दिया जाना चाहिए। इस प्रकार इन जातियों का कुल आरक्षण 5 प्रतिशत होना चाहिए और समग्र पिछड़े वर्ग का आरक्षण 26 प्रतिशत होना चहिए।   

भाजपा के घनश्याम तिवाड़ी और प्रहलाद गुंजल ने विधेयक में खामियों को इंगित करते हुए संशोधन करने का सुझाव दिया लेकिन ध्वनिमत से अस्वीकार कर दिया।  विधेयक के पारित होने के बाद सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए रथगित हो गई। सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित होने के नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी ने कहा कि सरकार केवल अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए गुर्जरों को रिझाने के लिए जल्दबाजी में लाया गया विधेयक कानून सम्मत नहीं होने की वजह से न्यायालय में ठहर नहीं पाएगा।  

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