राजस्थानः ''प्राण जाए पर वचन न जाई...'', किरोड़ी लाल मीणा ने मंत्री पद से दिया इस्तीफा

punjabkesari.in Thursday, Jul 04, 2024 - 06:10 PM (IST)

नेशनल डेस्कः राजस्थान के कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने राज्य में लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। मीणा ने गुरूवार को यह खुलासा करते हुए कहा कि उन्होंने पिछले दिनों मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से मुलाकात की, लेकिन मुख्यमंत्री ने इस्तीफा स्वीकार करने से इनकार कर दिया। उन्होंने बताया कि अब उन्हें पार्टी आलाकमान ने शुक्रवार को दिल्ली बुलाया है, और वह इस्तीफे के बारे में बताएंगे तथा उन्हें संतुष्ट करेंगे।

मीणा ने यह भी कहा कि उनकी संगठन या मुख्यमंत्री से कोई नाराजगी नहीं है और उन्होंने अपनी उस सार्वजनिक घोषणा के कारण इस्तीफा दिया है कि अगर पार्टी उनके अधीन वाली लोकसभा सीटें हारती है तो वे इस्तीफा दे देंगे। हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों के दौरान मीणा (72) ने कहा था कि अगर भाजपा उनके अधीन सात संसदीय सीटों में से किसी एक को भी हारती है तो वे मंत्री पद छोड़ देंगे।

मीणा ने मीडिया से कहा, 'मैं पार्टी को जिता नहीं सका। चुनाव के दौरान मैंने घोषणा कर दी थी। उस घोषणा को मैंने पूरा किया है। मुख्यमंत्री जी की जानकारी में 20 दिन पहले दे दिया था। आज मैंने घोषणा कर दी।' उन्होंने कहा, 'पार्टी आलाकमान ने कल मुझे दिल्ली बुलाया है। मैं जाऊंगा और उनको संतुष्ट करूंगा कि मैं नाकामयाब रहा। पार्टी को जिता नहीं सका। मैंने वचन दिया था कि अगर पार्टी नहीं जीती तो मैं मंत्री पद से इस्तीफा दे दूंगा। तो मेरी नैतिक जिम्मेदारी बनती थी कि जब मेरी पार्टी नहीं जीती तो मैं वहां से इस्तीफा दे दूं।'

मीणा ने इस्तीफे पर दी सफाई
मीणा ने कहा, 'मैंने मुख्यमंत्री जी से मिलकर भी आग्रह किया लेकिन उन्होंने मना कर दिया। उन्होंने मेरे इस्तीफे को पूरी तरह से ठुकरा दिया लेकिन चूंकि मैंने वादा किया था मैंने घोषणा की थी जनता में मेरी साख बनी रहे इसलिए मैंने इस्तीफा दे दिया।' सरकार में मनमाफिक पद नहीं मिलने पर पार्टी संगठन से नाराजगी की अटकलों को खारिज करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘नाराजगी होती तो मैं शपथ ग्रहण के तुरंत बाद ही इस्तीफा दे देता। न तो मुझे मुख्यमंत्री से और न ही संगठन से कोई शिकायत है। न कोई अपेक्षा है। न कोई पद लोलुपता है। पद के कारण इस्तीफा नहीं दिया।''

मीणा ने कहा, 'मैं ईमानदारी से कह रहा हूं कि मैं मेरी पार्टी को नहीं जिता सका मेरी विफलता है। अपने बयान पर अडिग रहते हुए मैने इस्तीफा दे दिया।' उन्होंने कहा कि वह सारी सरकारी सुविधाएं तो डेढ़ महीने पहले छोड़ चुके हैं। मीणा ने लोकसभा चुनाव के लिए हुए मतदान के बाद कहा था कि अगर भाजपा उनके अधीन सात सीट में से कोई भी सीट हारती है तो वह मंत्री पद छोड़ देंगे।

कृषि, ग्रामीण विकास, आपदा प्रबंधन एवं राहत मंत्री मीणा ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री के दौसा आने से पहले मैंने कहा था कि अगर सीट (दौसा) नहीं जीती तो मैं मंत्री पद छोड़ दूंगा। बाद में प्रधानमंत्री ने मुझसे अलग से बात की और मुझे सात सीट की सूची दी। मैंने 11 सीट पर कड़ी मेहनत की है।'' उन्होंने यह भी कहा था, ‘‘अगर पार्टी सात में से एक भी सीट हारती है तो मैं मंत्री पद छोड़ दूंगा और यहां पानी पिलाऊंगा।''

मीणा ने दौसा, भरतपुर, करौली-धौलपुर, अलवर, टोंक-सवाई माधोपुर और कोटा-बूंदी समेत पूर्वी राजस्थान की सीट पर प्रचार किया था। भाजपा इनमें से भरतपुर, दौसा, टोंक-सवाईमाधोपुर और धौलपुर-करौली सीट कांग्रेस से हार गई। उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनाव के परिणाम चार जून को आए जिनमें भाजपा मीणा के गृह क्षेत्र दौसा सहित कई सीटें हार गईं। भाजपा राज्य की 25 लोकसभा सीटों में से 14 पर ही जीत सकी जबकि 2019 के चुनाव में 24 सीटों पर जीती थी।

इससे पहले मीणा ने गुरूवार को सोशल मीडिया मंच ‘एक्स' पर श्री रामचरितमानस की पंक्तियां लिखी, ‘‘रघुकुल रीत सदा चली आई। प्राण जाए पर वचन न जाई।' ऐसा माना जाता है कि पिछले साल दिसंबर में विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद मीणा मुख्यमंत्री पद की दौड़ में थे, लेकिन पार्टी हाईकमान ने पहली बार विधायक बने भजनलाल शर्मा को राज्य का नेतृत्व करने के लिए चुना। पांच बार के विधायक और पूर्व राज्यसभा सदस्य मीणा दौसा और सवाई माधोपुर से लोकसभा सांसद रह चुके हैं।


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Content Writer

Yaspal

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