राज ठाकरे की पार्टी के कार्यकर्ताओं का मुंबई में गुंडागर्दी, मराठी ना बोलने पर एक शख्स को पीटा

punjabkesari.in Tuesday, Jul 01, 2025 - 01:57 PM (IST)

National Desk : मुंबई में राज ठाकरे की पार्टी MNS के कार्यकर्ताओं द्वारा फिर से एक गुंडागर्दी की घटना सामने आई है। मीरा रोड में मराठी भाषा न बोलने पर एक फास्ट फूड कर्मचारी के साथ बेरहमी से मारपीट की गई है। उसे कई थप्पड़ भी जड़े गए। मिली जानकारी के अनुसार, यह घटना मीरा रोड के बालाजी होटल में हुई, जहां मनसे कार्यकर्ताओं ने कर्मचारी को अपशब्द बोलते हुए मारपीट की। यह मामला सोमवार रात का है। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। अब इस मामले पर अन्य राजनीतिक दलों ने भी प्रतिक्रिया दी है।

शिवसेना यूबीटी की प्रतिक्रिया 
मुंबई में MNS कार्यकर्ताओं की गुंडागर्दी को लेकर उद्धव ठाकरे की शिवसेना यूबीटी ने भी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी के विधायक सचिन अहीर ने कहा कि मराठी भाषा को लेकर मारपीट करना उचित नहीं है, लेकिन अगर कोई जान-बूझकर घमंड में मराठी बोलने से इनकार करता है, तो वह भी गलत है। इसी तरह, शरद पवार की एनसीपी ने भी राज ठाकरे की पार्टी की इस हरकत की कड़ी निंदा की है।

सरकार की तरफ से क्या आया बयान?
महाराष्ट्र सरकार के गृह राज्यमंत्री योगेश कदम ने कहा है कि राज्य में सभी भाषाओं का समान सम्मान होना चाहिए। उन्होंने साफ किया कि कोई भी व्यक्ति कानून को अपने हाथ में न ले। यदि कोई गलती होगी तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। वहीं, बीजेपी के नेता और कैबिनेट मंत्री आशीष शेलार ने कहा कि महाराष्ट्र में मराठी और पूरे भारत में हिंदी हमारी प्राथमिक भाषा है। अगर कोई मारपीट कर कानून तोड़ता है तो सरकार सख्त कदम उठाएगी।

वहीं, महाराष्ट्र में स्कूलों में हिंदी पढ़ाने से जुड़े दोनों सरकारी आदेश (GR) रद्द हो जाने के बाद महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) ने नागपुर में जश्न मनाया। नागपुर के सक्करधारा क्षेत्र में मनसे के कार्यकर्ताओं ने जीत का जश्न मनाते हुए नारेबाजी की, ढोल-नगाड़े बजाए और खुशी में नृत्य किया। उन्होंने मिठाइयां बांटी और आतिशबाजी कर अपनी खुशी का इज़हार किया। मनसे कार्यकर्ताओं का कहना है कि पूरा महाराष्ट्र राज ठाकरे के समर्थन में खड़ा है। उनका मानना है कि यह महाराष्ट्र की जनता की जीत है। मुख्यमंत्री सहित कई बड़े नेताओं ने इस मुद्दे पर राज ठाकरे से मुलाकात की थी, लेकिन राज ठाकरे ने अपनी स्पष्ट भूमिका निभाई। इसी वजह से सरकार को दोनों GR को रद्द करना पड़ा।


 


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Content Editor

Shubham Anand

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