मां ने तांबे के बर्तन में PM मोदी को खिलाया खाना, लोकसभा मेें भी हुई इस पर चर्चा, जानें पूरा मामला

Wednesday, Mar 16, 2022 - 03:15 PM (IST)

नई दिल्ली: चार राज्यों में चुनाव जीतने के बाद गुजरात दौरे पर गए पीएम मोदी ने दो साल बाद अपनी मां हीराबेन से मुलाकात की। इस दौरान पीएम मोदी ने सबसे पहले अपनी मां का आशीर्वाद लिया और उसके बाद उनके साथ खाना खाया जिसकी चर्चा अब लोकसभा में भी हो रही है। 
 

दरअसल, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को लोकसभा में बताया कि विषाणुओं के खिलाफ दीर्घकालिक प्रभावी बचाव के कदम के तहत रेलगाड़ियों के 300 डिब्बों में प्रवेश द्वार सम्पूर्ण तांबे की परत और गलियारा क्षेत्र में हैंडल पर सूक्ष्मजीव रोधी तांबे की परत चढ़ायी गई है। लोकसभा में भाजपा के राजदीन रॉय के पूरक प्रश्न के उत्तर में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने यह जानकारी दी। 
 

इससे पहले रॉय ने पूछा था कि क्या सरकार फरवरी 2021 की अमेरिकी पर्यावरण सुरक्षा एजेंसी की उस घोषणा से अवगत है कि मिश्र धातु कोविड-19 सहित विषाणुओं के खिलाफ दीर्घकालिक तौर पर प्रभावी होती हैं। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि रेल डिब्बा कारखाना कपूरथला द्वारा सूक्ष्मजीव रोधी तांबे की कोटिंग के साथ 300 सवारी डिब्बे मुहैया कराए गए हैं। 
 

वहीं इस दौरान सांसद में पीएम मोदी का उनकी मां के साथ भोजन करने को लेकर भी बात हुई। दरअसल, सांसद ने लोकसभा में कहा कि हाल ही में पूरी दुनिया का ध्यान एक तस्वीर की ओर गया, जहां हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी अपनी मां के साथ भोजन कर रहे थे। लेकिन मां-बेटे के मिलन के अलावा एक और चीज ने मेरा ध्यान खींचा, वे थे तांबे के बर्तन जिसमें पीएम मोदी अपनी मां के साथ भोजन कर रहे थे। 

उन्होंने इसकी खासियत के बारे में बताया कि यह धातु जिसे एंटी-माइक्रोबियल गुण कहा जाता है। यूनाइटेड स्टेट्स एनवायर्नमेंटल प्रोटेक्शन एजेंसी की एक हालिया रिपोर्ट साबित करती है कि तांबे में एंटी-माइक्रोबियल और एंटी-वायरल गुण होते हैं, और तांबे के बर्तन लंबे समय से भारतीय संस्कृति का हिस्सा रहे हैं।  


रॉय ने वैष्णव से पूछा कि क्या रेलवे उन सतहों के लिए तांबे का उपयोग करने की योजना बना रहा है जिनके संपर्क में लोग आते हैं। मंत्री ने कहा कि प्रयोग किया गया था, लेकिन यह सफल नहीं था क्योंकि तांबा महंगा है, और तेजी से खराब भी होता है। जहां तक ​​रेलवे में इसके उपयोग का सवाल है, यह प्रयोग 300 कोचों में किया गया है। हालांकि, समस्या यह है कि तांबा महंगा है और यह जल्द ही खराब हो जाता है, इसलिए शायद इसे बड़े पैमाने पर परिवहन के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता लेकिन बर्तनों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।


उन्होंने बताया कि इसमें प्रवेश द्वार पर संपूर्ण तांबे की कोटिंग तथा गलियारा क्षेत्र में तांबे की कोटिंग युक्त हैंडल की व्यवस्था की गई है। वैष्णव ने बताया कि मौजूदा महामारी के दौरान संक्रमण के फैलाव को नियंत्रित करने के लिए सभी क्षेत्रीय रेलों को कीटाणु शोधन सहित सोडियम हाइपोक्लोराइट का उपयोग करने की सलाह दी गई है । उन्होंने बताया कि इसमें रेक्सिन कवर वाली सीटों, दरवाजे के हैंडल, शौचालय और शौचालय फिटिंग, कुंडी, पानी के नल आदि पर इनका प्रयोग शामिल है। 

Anu Malhotra

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