महाअधिवेशन की शुरुआत के साथ कांग्रेस में हुए कई बदलाव

punjabkesari.in Sunday, Mar 18, 2018 - 05:23 AM (IST)

नेशनल डेस्क (आशीष पाण्डेय): राहुल गांधी की अध्यक्षता में पहला लेकिन कांग्रेस का 84वां महाधिवेशन 17 मार्च को नई दिल्ली के इंदिरा गांधी स्टेडियम में शुरु हुआ। अधिवेशन के पहले दिन ही पार्टी में कई बदलाव देखने को मिले। यह शुरूआत कई मामलों में राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गई है। इतना ही नहीं कांग्रेस के विरोधियों ने इस बदलावा पर निशाना भी साधा है। सबसे पहले पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी का ट्विटर अकाउंट नए अवतार में नजर आया। पहले यह ऑफिस ऑफ आरजी नाम से था जिसे अधिवेशन से ठीक पहले बदलकर राहुल गांधी कर दिया गया। बदलाव की दूसरी निशानी महाधिवेशन के मंच पर दिखी। पार्टी के सभी नेताओं को मंच की सतह पर गद्दे और मसलंद के साथ न बिठाकर मंच के नीचे सामने कुर्सी पर बैठाया गया था। मंच को नए लुक और नए ब्रांड में सजाया गया था। इसके साथ ही अपने उद्घाटन संबोधन में राहुल ने सिर्फ चार मिनट का ही भाषण दिया।
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पुराने नेताओं को दी गई तरजीह
पार्टी में नए और पुराने नेताओं के बीच सामंजस्य बिठाने की भरपूर कोशिश की गई है और उस बावत संदेश भी दिया गया है। शायद यही वजह रही कि राहुल गांधी के तुरंत बाद लोकसभा की पूर्व स्पीकर और दलित नेता मीरा कुमार ने अपना भाषण दिया। राहुल गांधी ने अपने संक्षिप्त भाषण में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि बीजेपी नफरत और विभाजन की राजनीति करती है जबकि हम प्यार की राजनीति करते हैं। पार्टी ने पुराने अधिवेशनों से हटकर ना सिर्फ मंच को खाली रखा बल्कि टीवी चैनलों की तरह पैनल डिसकसन भी कराया, जिसमें युवा और वरिष्ठ नेताओं ने मीडिया, कम्यूनिकेशन और विरासत पर चर्चा की। महाधिवेशन में कार्यकर्ता अपना जुड़ाव महसूस करें, इसलिए उसे रोचक बनाने की भी कोशिश की गई है।
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बुकलेट में मोदी की हकीकत
महाधिवेशन से पहले कार्यकर्ताओं को मोदी सरकार की सच्चाई से अवगत कराने वाले बुकलेट भी बांटे गए हैं ताकि वो गांव-गांव जाकर उनकी चर्चा कर सकें। इसके साथ ही महाधिवेशन के दौरान पेश किये गये राजनीतिक प्रस्ताव में कांग्रेस ने आगामी आम चुनाव को लेकर अपनी रणनीति का खुलासा किया है। दो दिवसीय महाधिवेशन में इस प्रस्ताव पर विस्तृत विचार विमर्श कर इसे अपनाया जाएगा। लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा पेश किये गये इस प्रस्ताव को बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि इसी के माध्यम से पार्टी लोकसभा सहित अगले चुनावों में अन्य विपक्षी दलों के साथ गठबंधन करने की अपनी दिशा निर्धारित करेगी।
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NDA की टूट से कांग्रेस को होगा फायदा?
क्या एनडीए के बिखराव का फायदा क्या कांग्रेस उठा पाएगी? सियासत का सबसे बड़ा यक्ष प्रश्न यही है। फूलपुर-गोरखपुर में उसका प्रदर्शन काफी दयनीय रहा, हद तो यह हो गई कि अपने उम्मीदवारों की जमानत जब्त की बात ना कर बीजेपी की हार कांग्रेसी करते देखे गए। आश्चर्य यह भी कम नहीं है कि जब पार्टी का शायद सबसे खराब दौर चल रहा है तो भी इन हालात में कांग्रेस का अधिवेशन हो रहा है। राहुल गांधी की अध्यक्षता में पहली बार हो रहे कांग्रेस अधिवेशन में कई अहम चुनौतियों पर चर्चा की हुई। राजनीतिक प्रस्ताव पास होने के साथ-साथ यूपीए का कुनबा बढ़ाने पर भी जोर दिया गया। महाधिवेशन की शुरुआत में राहुल गांधी ने 4 मिनट का भाषण हुआ।
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इस अधिवेशन की 10 बड़ी बातें:-
1- सोनिया ने हाल ही में कहा कि पार्टी को लोगों तक पहुंचने की रणनीति बदलने की ज़रूरत है। इस लिहाज से ये अधिवेशन अपने युवा अध्यक्ष राहुल गांधी के नाम पर मुहर लगाने के अलावा ये भी देखेगा कि पार्टी किस राह चले, किन मुद्दों को लेकर चलें।
2:- कांग्रेस के सामने इस साल कई राज्यों के चुनाव हैं, कर्नाटक में सरकार बचाने की चुनौती है तो राजस्थान, छत्तीसगढ, मध्य प्रदेश में बीजेपी का दुर्ग भेदने के लिए जोश के साथ होश भी जरूरी होगा। 
3:- राहुल के आने के बाद पार्टी के भीतर नई और पुरानी पीढ़ियों के टकराव की बात भी उठने लगी थी, शनिवार सुबह राहुल के भाषण के बाद मीरा कुमार का भाषण देने के बाद यह चर्चा खत्म हो गई।
4:- डिनर डिप्लोमेसी के नाम पर विपक्ष को साधने व साथ लाने की कवायद तेज करनी होगी। 2019 की चुनौती के लिए तैयार की जा रही टीम का कमान किसके हाथ में होगा यह भी देखने योग्य होगा।
5:- इस अधिवेशन से कांग्रेस के लिए मिशन 2019 की शुरुआत भी है। पार्टी के सामने अपने प्रदर्शन को सुधारने के साथ ही ज्यादा से ज्यादा सहयोगी दलों को साथ लाने की कड़ी चुनौती होगी।
6:- यूपी में पार्टी का प्रदर्शन का ग्राफ लगातार नीचे की ओर जा रहा है। अब सपा-बसपा के एक साथ आने की संभावना है कि कांग्रेस भी इस जोड़ी से जुड़कर तिकड़ी बनाए।
7:- कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार से इसी हफ्ते मुलाकात की। ऐसा कयास लगाया जा रहा है कि 2019 के आम चुनाव से पहले भाजपा के खिलाफ विपक्ष के संयुक्त मोर्चे के लिए प्रयासों को मजबूती देने के लिए यह मुलाकात हुई है। 
8:- एनडीए से अलग हुई टीडीपी भी यूपीए के साथ जा सकती है, इसमें कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि ममता बनर्जी भी चुनाव से ऐन पहले हाथ के साथ हो लें। 
9:- कांग्रेस के एक नेता ने कहा, ‘‘ इस बार अन्य सत्रों की तुलना में महाधिवेशन अलग होगा क्योंकि कांग्रेस अध्यक्ष नेताओं की तुलना में कार्यकर्ताओं को प्राथमिकता देना चाहते हैं’’
10:- कांग्रेस प्रमुख की बजाय ध्यान कार्यकर्ताओं पर केन्द्रित होगा जिन्हें पार्टी की भावी रणनीति के बारे में बोलने का मौका दिया जाएगा। 


 


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