इसी महीने राहुल के सिर सजेगा कांटो वाला ताज

Monday, Oct 16, 2017 - 04:46 PM (IST)

नई दिल्ली: कांग्रेस की कमान अब अधिकारिक तौर पर राहुल गांधी के हांथ में आने वाली है। हालांकि पहले भी हर फैसले पर उनकी अंतिम सहमति जरूरी होती थी। संभावना व्यक्त की जा रही है कि पार्टी में चल रहे संगठनात्मक चुनाव के तहत 30 अक्टूबर तक पार्टी को नया अध्यक्ष मिल जायेगा। पार्टी के निर्वाचन अधिकारी और सांसद एम रामचंद्रन सोमवार को सोनिया गांधी से उनके आवास पर मुलाकात कर पार्टी संगठन के चुनाव तथा अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए तारीख तय करने के बारे में चर्चा की है। पिछले सप्ताह उत्तर प्रदेश कांग्रेस ने राहुल गांधी को पार्टी की कमान सौंपने के बारे में एकमत से एक प्रस्ताव पारित किया है। उत्तराखंड, ओडिशा, महाराष्ट्र, गोवा, दिल्ली, पश्चिम बंगाल सहित कई प्रदेश इकाइयां राहुल गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष बनाने के बारे में प्रस्ताव पारित कर चुकी हैं। युवक कांग्रेस ने भी दो दिन पहले उन्हें पार्टी अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव पारित किया है। 

कम नहीं हैं चुनौतियां
अब पार्टी प्रमुख के नाते उन्हें अपने फैसलों की जिम्मेदारी खुद ही लेनी पड़ेगी। राहुल के लिए यह किसी कांटे के ताज से कम नहीं है। वर्तमान में गुजरात और उसके बाद हिमाचल में विधानसभा चुनाव होने हैं, इन चुनावों के नतीजों से राहुल की जिम्मेदारियों की परख होगी। हालांकि पहले बिहार उसके बाद पंजाब में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों से पार्टी को संजीवनी जरूर मिली है। जिसके दम पर मोदी के विजय रथ को रोकने की कोशिश तेज कर दी गई है। 

एक नजर राहुल की चुनौतियों पर
-पार्टी के संगठनात्मक ढांचे को मजबूत करना होगा। यूपी, गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली और हरियाणा में कई बड़े कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस छोड़ दिया। इस नुकसान की भरपाई राहुल गांधी को जल्द ही करनी होगी।
-लोकसभा में खुद को गंभीर बनाते हुए एक कुशल वक्ता और सक्षम लीडर के तौर पर पेश करना होगा। शीत कालीन सत्र उन्हें पार्टी प्रमुख के रूप में पेश करते हुए कमान संभालनी होगी। जिससे विपक्ष का उनपर भरोसा बढ़ सके। 
-पार्टी प्रमुख के नाते छोटे कार्यकर्ताओं को गंभीरता से सुनना उनके लिए जरूरी होगा, राहुल गांधी पर कई बार आरोप लगा है कि कार्यकर्ताओं के लिए उनके पास समय नहीं है।
-हरियाणा सहित कई राज्यों में पार्टी पदाधिकारियों के बीच धमासान चल रहा है, ऐसे में यह भी देखना दिलचस्प होगा कि राहुल गांधी इस अंदरूनी कलह से पार्टी को हो रहे नुकसान से कैसे बचाते हैं।        

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