दुश्मनों का काल राफेल अब होगा और विकराल, घातक हैमर मिसाइल से किया जाएगा लैस

Friday, Nov 06, 2020 - 12:35 PM (IST)

नेशनल डेस्क: फ्रांस से कुछ दिन पहले भारत को तीन और राफेल लड़ाकू विमानों की दूसरी खेप मिली है। देश को अभी तक दो खेपों में आठ राफेल लड़ाकू विमान प्राप्त हुए हैं। अधिकारियों ने बताया कि पांच राफेल विमानों की पहली खेप 29 जुलाई को भारत पहुंची थी। करीब चार साल पहले भारत ने फ्रांस सरकार के साथ 36 राफेल विमानों की खरीद के लिए 59,000 करोड़ रुपए का अंतर सरकारी करार किया था। राफेल भारत में और भी ताकतवर होंगे क्योंकि ये हैमर मिसाइल से लैस होंगे।

क्या है हैमर मिसाइल
हैमर यानी हाइली एजाइल एंड मैनोवरेबल म्यूनिशन एक्टेंडेड रेंज (Hammer)। हैमर हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइल किट है। यह रॉकेट के जरिए चलती है। फ्रांस ने  भारतीय लड़ाकू विमान राफेल को हैमर से लैस करने पर सहमति जता दी है। हालांकि राफेल पहले ही घातक है, यह MICA, Meteor और SCALP मिसाइलों से लैस है। अब हैमर मिसाइल से लैस होने बाद राफेल और भी पावरफुल हो जाएगा। रिपोर्ट्स के मुताबिक हैमर काफी खतरनाक हथियार है, जिसे जीपीएस के बिना भी बहुत कम दूरी से 70 किलोमीटर की बहुत लंबी रेंज से लॉन्च किया जा सकता है।

भारत-फ्रांस के बीच समझौता
रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत और फ्रांस के बीच सितंबर 2020 में हैमर कॉन्ट्रैक्ट पर साइन किए गए थे और इस महीने के अंत तक बड़ी संख्या में हथियारों को अंबाला में भारतीय वायु सेना स्टेशन के गोल्डन एरो स्क्वाड्रन को डिलीवर्ड किया जाएगा। डील के हिसाब से आम तौर पर हैमर हथियार एक साल में भारतीय वायु सेना को डिलीवर होने थे लेकिन फ्रांसीसी वायुसेना ने नई दिल्ली के तत्काल जरूरत को पूरा करने के लिए अपनी सूची में सीमित हथियारों के साथ भाग लेने का फैसला किया है।

 

हैमर हथियार का फायदा

  • हैमर हथियार का उपयोग कई टारगेट्स पर एक साथ हमले के लिए किया जा सकता है।
  • इसकी जो सबसे खास बात है वो यह कि इसके रख-रखाव की लागत भी कम है। 
  • डेटा लिंक क्षमता के साथ हैमर हथियार युद्ध जैसी स्थितियों से अवगत है और टारगेट पर प्रहार करने के लिए पूरी तरह से फ्लेक्सीबल है। 

एक तरफ पाकिस्तान और दूसरी तरफ पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की आक्रामकता, इन दोनों से निपटने के लिए फाइटर जेट राफेल वायुसेना की फ्रंटलाइ पर है। फ्रांस की एरोस्पेस कंपनी दसाल्ट एविएशन द्वारा निर्मित राफेल लड़ाकू विमान करीब ढाई दशक में भारत की सबसे बड़ी विमान खरीद हैं। इससे 23 साल पहले भारत ने रूस से सुखोई विमान खरीदे थे। हाल ही में वायुसेना में शामिल राफेल विमान पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में ड्यूटी पर हैं। वायुसेना ने अपने लगभग सभी लड़ाकू विमानों जैसे सुखोई 30एमकेआई, जैगुआर और मिराज 2000 को पूर्वी लद्दाख और वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास विभिन्न एयरबेस में तैनात किया है।

पहले खेप में आये राफेल विमानों को 10 सितंबर को वायुसेना में शामिल किया गया। भारतीय वायुसेना के प्रमुख एयर चीफ मार्शल आर. के. एस. भदौरिया ने कहा था कि सभी 36 राफेल विमानों को 2023 तक सेना में शामिल कर लिया जाएगा। राफेल लड़ाकू विमान परमाणु हथियारों को ले जाने की क्षमता रखते हैं। राफेल विमानों का पहला स्क्वाड्रन हरियाणा के अंबाला एयरबेस में हैं जबकि दूसरा पश्चिम बंगाल के हासिमारा में होगा।

Seema Sharma

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