भारत आने के दौरान राफेल जेट में हवा में भरा गया ईंधन, देखें तस्वीरें

Tuesday, Jul 28, 2020 - 09:13 PM (IST)

नेशनल डेस्कः फ्रांस से भारत आ रहे पांच राफेल लड़ाकू विमानों में एक फ्रांसीसी टैंकर ने 30 हजार फुट की ऊंचाई पर बीच हवा में ही ईंधन भरा। फ्रांस में भारतीय दूतावास द्वारा मंगलवार को जारी तस्वीरों में यह जानकारी दी गई। फ्रांस के बंदरगाह शहर बोर्डेऑस्क में मैरीग्नेक वायुसेना अड्डे से इन विमानों ने सोमवार को उड़ान भरी थी। ये विमान लगभग सात हजार किलोमीटर का सफर तय करके बुधवार को अंबाला वायुसेना अड्डे पर पहुंचेंगे।

भारतीय वायुसेना ने ट्वीट किया, “भारतीय वायुसेना हमारे राफेल विमानों की घर वापसी की यात्रा में फ्रांसीसी वायुसेना द्वारा उपलब्ध कराए गए सहयोग के लिए उनकी सराहना करती है।” अधिकारियों ने कहा कि पांच राफेल विमान सोमवार की शाम को करीब सात घंटों की उड़ान के बाद संयुक्त अरब अमीरात के अल दाफरा हवाईअड्डे पर पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि फ्रांस से भारत आ रहे इन लड़ाकू विमानों के लिए यही एक ठहराव था। फ्रांस में भारतीय दूतावास ने विमानों में बीच हवा में ईंधन भरे जाने की कई तस्वीरें साझा करते हुए ट्वीट किया, “30,000 फीट की ऊंचाई से कुछ तस्वीरें!

भारत के लिए निकले राफेल विमानों में सफर के दौरान बीच हवा में ईंधन भरा गया।” एक अधिकारी ने कहा कि इस जत्थे में तीन एक सीट वाले और दो विमान दो सीटों वाले हैं। इन विमानों के बुधवार को अंबाला वायुसेना स्टेशन पहुंचने की उम्मीद है, जब इन्हें औपचारिक रूप से भारतीय वायु सेना में उसके 17वें स्क्वाड्रन के तौर पर शामिल किया जाएगा जिसे ‘गोल्डन ऐरो' भी कहा जाता है। वायुसेना के बेड़े में राफेल के शामिल होने से उसकी युद्ध क्षमता में महत्वपूर्ण वृद्धि होने की उम्मीद है।

भारत को यह लड़ाकू विमान ऐसे समय में मिल रहे हैं, जब उसका पूर्वी लद्दाख में सीमा के मुद्दे पर चीन के साथ गतिरोध चल रहा है। भारतीय वायुसेना पहले ही वास्तविक नियंत्रण रेखा से लगे अपने अहम हवाई ठिकानों पर अग्रिम पंक्ति के लड़ाकू विमानों को तैनात कर चुकी है। भारत ने वायुसेना के लिए 36 राफेल विमान खरीदने के लिए 23 सितंबर 2016 को फ्रांस की विमानन क्षेत्र की दिग्गज कंपनी डसो एविएशन के साथ 59 हजार करोड़ रुपए का करार किया था। वायुसेना को पहला राफेल विमान पिछले साल रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की फ्रांस यात्रा के दौरान सौंपा गया था। राफेल विमानों की पहली स्क्वाड्रन को अंबाला वायुसैनिक अड्डे पर तैनात किया जाएगा।

आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि राफेल विमानों को लद्दाख सेक्टर में तैनात किए जाने की संभावना है जहां वायुसेना चीन के साथ लगने वाली वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अपनी संचालन क्षमताओं को और मजबूत करना चाहती है। यह विमान विभिन्न प्रकार के शक्तिशाली हथियारों को ले जाने में सक्षम है। यूरोपीय मिसाइल निर्माता एमबीडीएस की मिटोर, स्कैल्प क्रूज मिसाइल, मीका हथियार प्रणाली राफेल लड़ाकू विमानों के हथियार पैकेज में शामिल है।

पहले बेड़े को दिया जाएगा यह नाम 
वायुसेना ने इन लड़ाकू विमानों के पहले बेड़े को खास नाम देने जा रही है। इन विमानों के बेड़े को वायुसेना की 17वीं स्क्वाड्रन के तौर पर जाना जाएगा। राफेल विमान के स्क्वाड्रन का नाम 'गोल्डन एरो' होगा। इन विमानों का निर्माण करने वाली फ्रांसीसी कंपनी दसाल्ट ने अभी 10 राफेल विमान दिए हैं। इनमें से पांच फ्रांस में ही हैं, जिन पर भारतीय वायुसेना के पायलट प्रशिक्षण ले रहे हैं। सभी 36 विमानों की डिलीवरी 2021 के अंत तक हो जाएगी। 

 

Yaspal

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