मैक्स अस्पताल पर दिल्ली सरकार की कार्रवाई के बाद निजी स्वास्थ्य सुविधाओं पर उठे सवाल

Friday, Dec 08, 2017 - 10:24 PM (IST)

जालंधर(इनपुट डैस्क): नवजात शिशु को गलती से मृत घोषित करने के मामले में दिल्ली के शालिमार बाग स्थित मैक्स अस्पताल की मान्यता रद्द होने के बाद निजी अस्पतालों की विश्वसनीयता सवालों के घेरे में आ गई है। 

मैक्स फाऊंडेशन का गठन 1985 में हुआ था और वर्तमान में इस फाऊंडेशन के 14 से अधिक अस्पतालों का नैटवर्क देशभर में चल रहा है। फाऊंडेशन ने अपनी बैवसाइट में दावा किया है कि उनके पास 2300 से अधिक चिकित्सकों व अन्य ट्रेंड टैक्नीकल स्टाफ की चेन है और वे 24 घंटे अपनी स्वास्थ्य सेवाएं लोगों को उपलब्ध करवा रहे हैं। मगर मामले ने हैल्थ फाऊंडेशन के अंदरखाते चल रही गड़बडिय़ों को बरबस ही उजागर कर दिया है। 

नवजात बच्चे को मृत घोषित करने के मामले में मैक्स अस्पताल प्राथमिक तौर पर दोषी पाया गया है। मामले पर स्वास्थ्य विभाग ने दिल्ली सरकार को मैक्स अस्पताल की शुरूआती जांच रिपोर्ट सौंपी थी। यह जांच तीन डॉक्टरों के पैनल द्वारा तैयार की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अस्पताल ने बच्चे की ई.सी.जी. करने से पहले ही उसे मृत घोषित कर दिया था। इसके बाद उसे प्लास्टिक बैग में लपेट कर परिजनों को सौंप दिया। लिहाजा, इस लापरवाही के जघन्य प्रकरण से अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकारी ही नहीं निजी अस्पतालों में भी बच्चों का जन्म सुरक्षित नहीं रह गया है।

क्या है पूरा मामला
शालीमार बाग स्थित मैक्स अस्पताल में 30 नवंबर को डॉक्टरों ने एक जिंदा बच्चे को मरा हुआ बताकर उसे प्लास्टिक के बैग में पैक कर परिजनों को सौंप दिया था। परिजन जब बच्चे को लेकर जाने लगे तो उसमें जीवन के लक्षण दिखाई दिए। मधुबन चौक पर अचानक एक पैकेट से कुछ हरकत होने लगी। पैकेट खोला तो लड़के की सांस चल रही थी। उसे पीतमपुरा के अग्रवाल नर्सिंग होम में ले गए जहां डॉक्टर ने बच्चे को जिंदा और काफी हद तक स्वस्थ बताया था। 

बुधवार को हुई थी बच्चे की मौत 
मैक्स अस्पताल की ओर से पिछले गुरुवार को मृत बताए गए जीवित बच्चे की बीते बुधवार को मृत्यु हुई थी। मैक्स अस्पताल से लाने के बाद इस बच्चे को पांच दिन पहले पीतमपुरा स्थित अग्रवाल अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बच्चे की मौत के बाद परिजनों का गुस्सा मैक्स अस्पताल पर फूट पड़ा और उन्होंने अस्पताल के द्वार पर काफी देर तक हंगामा व प्रदर्शन किया था। इतना ही नहीं बच्चे के माता-पिता ने बच्चे का शव लेने से इंकार कर दिया था। हालांकि बाद में उन्हें शव लेने के लिए राजी कर लिया गया।

146 डॉक्टर हो चुके हैं ब्लैक लिस्ट 
एम.सी.आई. ने प्रैक्टिस के दौरान नियमों का उल्लंघन और लापरवाही करने के मामले में 146 डॉक्टरों को ब्लैक लिस्ट किया है। इनमें  सबसे ज्यादा 48 डॉक्टर महाराष्ट्र के हैं जबकि 5 डॉक्टर पंजाब मैडीकल काऊंसिल से जुड़े हैं। 

पंजाब काऊंसिल के इन डॉक्टरों पर गिर चुकी है गाज 
1.डॉ. वीरेंद्र मोहन (पटियाला)
2.डॉ. अमर सतिंदर सिंह
3.डॉ. तकियार लिली (दिल्ली)
4.डॉ. गुरप्रीत इंद्र सिंह (दिल्ली 
5.डॉ. समर सोफत (लुधियाना)

एन.ए.बी.एच. और आई.एस.ओ. से मान्यता 
मैक्स फाऊंडेशन ने अपनी बैवसाइट में दावा किया है कि उनके अस्पतालों की चेन में विश्वस्तरीय चिकित्सा सुविधाओं की तरफ ध्यान दिया जा रहा है। सभी अस्पताल एन.ए.बी.एच. और आई.एस.ओ. से मान्यता प्राप्त हैं। इसके अलावा सभी अस्पताल सुपर स्पैशिलिटी की सुविधाओं से लैस हैं। 

पंजाब के 3 शहरों में चल रहे मैक्स अस्पताल 
मैक्स फाऊंडेशन की चेन के तहत पंजाब के तीन शहरों में मैक्स सुपर स्पैशिलिटी अस्पताल चल रहे हैं। राज्य में यह अस्पताल लुधियाना, बठिंडा और मोहाली में हैं। स्वास्थ्य सुविधाओं से जुड़े लोगों का कहना है कि इन अस्पतालों में हर रोज हजारों लोग अपने उपचार के लिए पहुंचते हैं। 

ई.डब्ल्यू.एस. नियमों पर गंभीर नहीं निजी अस्पताल 
1985 में गठित हुआ मैक्स फाऊंडेशन एन.एस.ई. व बी.एस.ई . में भी लिस्टिड है और वर्तमान में इस हैल्थ फाऊंडेशन के 37000 से अधिक शेयर होल्डर हैं। दिल्ली सरकार ने मामले के उजागर होने के बाद इकोनोमिकल वीकर सैक्शन (ई.डब्ल्यू.एस.) के नियमों के तहत भी अस्पताल को नोटिस जारी किया है। लोगों का कहना है किनिजी अस्पताल गरीबों के इलाज में कोई भी भूमिका नहीं निभा रहे, जबकि नियमों के तहत उन्हें ऐसा करना जरूरी है। 

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