पंजाब में सभी स्कूलों में पंजाबी को अनिवार्य विषय बनाया
punjabkesari.in Wednesday, Feb 26, 2025 - 08:55 PM (IST)
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चंडीगढ़, 26 फरवरी:(अर्चना सेठी) केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सी.बी.एस.ई.) द्वारा नया परीक्षा पैटर्न लागू कर क्षेत्रीय भाषाओं की अनदेखी करने की "सुनियोजित साजिश" के खिलाफ पंजाब सरकार ने सख्त कदम उठाते हुए आज एक अधिसूचना जारी कर राज्य के सभी स्कूलों में पंजाबी को अनिवार्य मुख्य विषय बना दिया है, चाहे स्कूल किसी भी शैक्षिक बोर्ड से संबद्ध हो। इस अधिसूचना के अनुसार, पंजाबी को मुख्य विषय के रूप में न पढ़ाने वाले स्कूलों के प्रमाणपत्रों को मान्यता नहीं दी जाएगी।गौरतलब है कि शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस द्वारा पंजाबी भाषा की उपेक्षा करने वाले सी.बी.एस.ई. के नए परीक्षा पैटर्न का कड़ा विरोध करने के बाद सी.बी.एस.ई. ने तुरंत स्पष्टीकरण जारी किया।
आज शाम यहां पंजाब भवन में प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए हरजोत सिंह बैंस ने कहा कि पंजाबी देश के अन्य राज्यों में भी बोली और पढ़ी जाती है, जो यह दर्शाता है कि इसकी महत्ता पंजाब की सीमाओं से परे भी है। उन्होंने कहा कि पंजाबी सिर्फ एक भाषा नहीं, बल्कि हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है, जिसे देशभर में लाखों लोग बोलते और प्रेम करते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सी.बी.एस.ई. ने अपने नए शैक्षिक पैटर्न के जरिए पंजाबी भाषा को खत्म करने की यह साजिश रची है।
शिक्षा नीति में पंजाबी की अनदेखी पर कार्रवाई की मांग करते हुए बैंस ने कहा कि वह केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को पत्र लिखेंगे ताकि संबंधित अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जा सके, जिन्होंने राज्य के साथ यह अन्याय किया है। उन्होंने कहा कि सी.बी.एस.ई. को समझना चाहिए कि यह सिर्फ किसी भाषा के चयन का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रीय महत्व का विषय है। यह राज्यों के अधिकारों और संघीय ढांचे का उल्लंघन है तथा हमारे देश की भाषाई विविधता पर सीधा प्रहार है।
पंजाबी भाषा को राज्य के शैक्षिक ढांचे का अभिन्न अंग बनाए रखने के प्रति पंजाब सरकार की दृढ़ प्रतिबद्धता को दोहराते हुए बैंस ने बताया कि पंजाब सरकार ने मोहाली के निजी स्कूल एमिटी इंटरनेशनल स्कूल पर पंजाब लर्निंग ऑफ पंजाबी एंड अदर लैंग्वेजेज एक्ट, 2008 का पालन न करने पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया है। ज़िला शिक्षा अधिकारी (सेकेंडरी) की रिपोर्ट के अनुसार, यह स्कूल इस अधिनियम का उल्लंघन करता पाया गया, जो पंजाबी को अनिवार्य विषय के रूप में पढ़ाने को आवश्यक बनाता है। इसी अधिनियम का उल्लंघन करने पर जालंधर के दो स्कूलों के खिलाफ भी कार्रवाई की गई थी।