ऑफ द रिकॉर्डः सहकारी बैंक धोखाधड़ी में पंजाब व हरियाणा शून्य, महाराष्ट्र अव्वल
Thursday, Sep 30, 2021 - 05:43 AM (IST)
नई दिल्लीः पिछले 3 वर्षों से शहरी सहकारी बैंकों (यू.सी.बी.) द्वारा रिपोर्ट की गई धोखाधड़ी में महाराष्ट्र देश में सबसे ऊपर है। देश में 2018-19 में धोखाधड़ी के कुल 1193 में से महाराष्ट्र में 856 मामले सामने आए तो 2019-20 में 568 में से 386 और 2020-21 में 323 में से 217 मामले सामने आए। ओडिशा में 2020-21 में कोई धोखाधड़ी मामला नहीं सामने आया, इसके साथ ही 2018-19 के मुकाबले मामले सीधे 20 से शून्य पर आ गए। इसी तरह हरियाणा और पंजाब में भी 2020-21 के दौरान यह संख्या शून्य रही है।
चौंकाने वाली बात यह है कि 31 मार्च, 2021 को यू.सी.बी. और जिला सहकारी बैंकों का सकल एन.पी.ए. कुल मिलाकर 84303 करोड़ रुपए था। आर.बी.आई. के उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार सहकारी समितियों का एन.पी.ए. देश में अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों से अधिक है। भारत के 1534 यू.सी.बी. में से लगभग एक तिहाई महाराष्ट्र में हैं।
पी.एम.सी. बैंक घोटाला सामने आने पर मोदी सरकार ने एन.सी.पी. सुप्रीमो शरद पवार के कड़े विरोध के बावजूद इस साल अप्रैल में बैंकिंग विनियमन अधिनियम में संशोधन किया। इस मामले को लेकर शरद पवार ने पी.एम. और सहकारिता मंत्री अमित शाह से भी मुलाकात की थी।
कर्नाटक, गुजरात, केरल, तमिलनाडु और उत्तराखंड में सहकारी बैंकों का प्रबंधन राजनीतिक नेता कर रहे हैं। हालांकि, समस्या महाराष्ट्र, गुजरात और कर्नाटक में विकट है। वहीं संशोधन में आर.बी.आई. को सहकारी बैंकों का नेतृत्व करने वाले निर्वाचित सदस्यों को इस आधार पर हटाने का अधिकार दिया गया है कि वे योग्य नहीं हैं, साथ ही वह सी.ई.ओ. सहित किसी भी अधिकारी को हटा सकता है। आर.बी.आई. ने कहा कि 277 यू.सी.बी. कमजोर थे और लगभग 105 सहकारी बैंक न्यूनतम नियामक पूंजी आवश्यकता को पूरा करने में असमर्थ थे।