स्कूटर की नंबर प्लेट, मर्सिडीज का लोन! फ्रॉड कपल ने बैंक से उड़ा दिए 60 करोड़!

punjabkesari.in Thursday, Nov 13, 2025 - 02:50 PM (IST)

नेशनल डेस्क:  पुणे की सड़कों पर फिलहाल राजनीति से लेकर पुलिस तक, हर कोई एक ही नाम की चर्चा कर रहा है — शीतल तेजवानी। वो महिला, जिस पर 300 करोड़ रुपये के पुणे लैंड घोटाले का आरोप है, और जो इस वक्त पुलिस की पकड़ से बाहर है। पर शीतल की कहानी सिर्फ एक जमीन सौदे तक सीमित नहीं है; इसके पीछे एक ऐसा नेटवर्क और चालबाज़ी का जाल छिपा है जिसने एक पूरे को-ऑपरेटिव बैंक को तबाह कर दिया और 1 लाख से ज़्यादा खाताधारक सड़क पर आ गए।

बैंक से जमीन तक फैला घोटालों का साम्राज्य

शीतल तेजवानी और उनके पति सागर सूर्यवंशी पर आरोप है कि उन्होंने 2018 में पिंपरी सेवा विकास सहकारी बैंक से 10 फर्जी लोन लेकर ₹60.7 करोड़ रुपये की हेराफेरी की। बैंक की पिंपरी और बुधवार पेठ शाखाओं से करोड़ों रुपये नकद में निकाले गए। बैंक की ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक, कुल 124 NPA खातों से ₹429 करोड़ का नुकसान हुआ, जिसमें सबसे बड़ा हिस्सा इसी जोड़े के नाम पर दर्ज है।

RTI कार्यकर्ता धनराज अस्वानी ने खुलासा किया कि इस कपल ने लक्ज़री कार खरीदने के नाम पर स्कूटर की नंबर प्लेट जमा कर दी और बैंक से करोड़ों रुपये निकाल लिए। इसी तरह, कोरेगांव पार्क में “लॉन प्रॉपर्टी” दिखाकर लोन लिया गया — लेकिन मौके पर सिर्फ़ एक दीवार मिली।

सिस्टम पर सवाल और गिरफ्तारी की गुत्थी

अस्वानी का आरोप है कि पति-पत्नी की इस ठगी में बैंक के बड़े अधिकारी भी शामिल थे। 2019 की सरकारी ऑडिट रिपोर्ट में इन गड़बड़ियों की पुष्टि हुई, पर कार्रवाई बेहद धीमी रही। ED ने 2023 में सागर सूर्यवंशी को गिरफ्तार किया, जबकि शीतल अग्रिम जमानत लेकर फरार हो गई।

2016 में दर्ज शिकायत से लेकर 2022 तक, RBI को मजबूर होकर बैंक का लाइसेंस रद्द करना पड़ा। 28 शाखाएं बंद हुईं, और करीब 1 लाख डिपॉजिटर्स को केवल ₹5 लाख तक की राशि लौटाई जा सकी।

अब नया धमाका — पुणे की 40 एकड़ सरकारी जमीन का सौदा

अब शीतल तेजवानी का नाम पुणे के मुंडवा इलाके की 40 एकड़ सरकारी जमीन की विवादित बिक्री में सामने आया है। इस डील की कीमत करीब ₹300 करोड़ बताई जा रही है, और यही कड़ी महाराष्ट्र की राजनीति में भूचाल ला रही है। आरोप है कि इस जमीन की पावर ऑफ अटॉर्नी शीतल के पास थी और उन्होंने इसे अमाडिया एंटरप्राइजेज LLP को बेच दिया — जिसमें महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री अजित पवार के बेटे पार्थ पवार डायरेक्टर हैं।

सिर्फ छह दिन बाद ही, कंपनी ने तहसीलदार से जमीन खाली कराने की सिफारिश की। तहसीलदार ने बिना जांच किए नोटिस जारी कर दिया, लेकिन जब BSI (Botanical Survey of India) ने आपत्ति जताई, तो पता चला कि जमीन का मालिकाना हक़ अब भी सरकार के नाम दर्ज है। जिला कलेक्टर ने बेदखली की कार्रवाई पर रोक लगाई और पूरे मामले को जांच के लिए भेज दिया।

राजनीति में गर्मी और जांच का दबाव

जैसे-जैसे मामले के तार अजित पवार परिवार से जुड़ते दिखे, राजनीति और गरमा गई। अजित पवार ने बचाव में कहा कि “डील रद्द कर दी गई है और जांच में सबकुछ साफ हो जाएगा।”
उधर, बावधन पुलिस ने शीतल तेजवानी के घर पर छापा मारकर कई अहम दस्तावेज़ और रसीदें जब्त की हैं, जो पुणे जमीन सौदे की असली परतें खोल सकती हैं।

एक ‘महिला मास्टरमाइंड’ की स्क्रिप्ट

बैंक घोटाला, फर्जी दस्तावेज़, नकद निकासी, जमीन डील, और राजनीतिक कनेक्शन — शीतल तेजवानी का नाम अब एक ऐसी महिला के रूप में उभरा है जिसने सिस्टम की हर कमजोरी का फायदा उठाया। RTI कार्यकर्ता अस्वानी का कहना है — “अगर शीतल को 2018 में ही जेल भेज दिया गया होता, तो आज ये 300 करोड़ की जमीन डील होती ही नहीं।”


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Content Editor

Anu Malhotra