बुर्के पर सख्त हुईं सरकारें

Saturday, Jul 23, 2016 - 09:05 AM (IST)

फ्रांस में नकाब या बुर्का पहनने वालों के खिलाफ कानून सख्त हो गया है। यह कदम वहां आतंकी हमले के बाद उठाया गया है। फ्रांस के साथ अलावा कई अन्य देशों में भी महिलाओं को बुर्का पहनने पर रोक लगाने के लिए कानून बनाए जा रहे हैं। प्रतिबंध के बावजूद फ्रांस में हिंद अह्रास पहली महिला होंगी जिन्हें बुर्का पहनने के जुर्म में जेल भेजा गया है। अह्रास के साथ एक अन्य महिला नाजते नाइत अली को भी दो साल की सजा सुनाई गई। इन महिलाओं को सार्वजनिक स्थान पर बुर्का पहनने पर गिरफ्तार किया गया था। 

अपने-अपने तर्क 
फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी ने कहा था कि बुर्का या नकाब पर प्रतिबंध लगाने का मकसद सिर्फ मुस्लिम को सताना नहीं हैं, फ्रांस की नीतियां सहिष्णु और उदार हैं। दुनिया भर में बुर्के और हिजाब पर बहस छिड़ी हुई है। कई देशों में यह बैन हो गया है। सार्वजनिक स्थान पर बुर्का पहनने पर भारी जुर्माना देने का प्रावधान किया गया है। इस प्रतिबंध पर सभी देशों के अपने-अपने तर्क हैं। 

फ्रांस पहला देश
फ्रांस में सरकोजी सरकार ने ही एंटी बुर्का कानून को संसद द्वारा पास करवाया था। ऐसी कार्रवाई करने वाला यह यूरोप का सबसे पहला देश था। इसमें महिलाएं सार्वजनिक स्थानों पर नकाब, बुर्का या पूरे शरीर को ढकने वाली चीज को नहीं पहन सकती हैं। फ्रांस के अलावा डेंनमार्क, बेल्जियम, स्विटजरलैंड, स्वीडन, नाइदरलैंड और अन्य देशों में ऐसे कानून को बनाने की योजना है। महिलाओं के बुर्के पर प्रतिबंध लगाने की क्या वजह को सकती है ? सबसे बड़ा कारण यही है कि कोई बुर्के की आड़ में आतंकवादी गतिविधियों को आसानी से अंजाम न देने पाए। 

यहूदी टोपी पहनने पर भी रोक
वर्ष 2004 में फ्रांस में बुर्का, क्रॉस और यहूदी टोपी पहनने पर रोक लगा दी गई। इसके बाद वर्ष 2011 में आम जनता के लिए भी इसे बैन कर दिया गया। अगर कोई महिला सार्वजनिक स्थान पर बुर्का पहनेगी, तो उस पर 150 यूरो जुर्माना लगाया जाएगा। यदि कोई किसी महिला को मुंह ढकने के लिए दबाव डालता है, तो उस पर 30000 यूरो का जुर्माना लगेगा। 

जुर्माना और जेल
बेल्जियम में वर्ष 2011 में बुर्का पहनने पर प्रतिबंध लगाया गया। मुंह ढकने पर यहां पाबंदी है। यदि कोई इस नियम को नहीं मानता है, तो उस पर 12,000 रुपए के जुर्माना लगेगा ही साथ ही सात दिन के लिए जेल भी जाना पड़ सकता है।

पहचान छुप जाती है
इटली के नोवारा शहर में वर्ष 2010 में बुर्का पहनने पर बैन लगाया गया। इसके पीछे तर्क यह दिया गया कि इससे महिलाओं की पहचान छुप जाती है।

यहां भी है पाबंदी 
स्‍पेन के बार्सिलोना शहर में सभी निगम भवनों में बुर्के पर प्रतिबंध है। इसी प्रकार रूस के उत्तरी काकेशक क्षेत्र में रूसी लोगों और मुसलमानों में जातीय तनाव रहता है। यहां स्कूलों में बुर्के पर प्रतिबंध है। नीदरलैंड में स्कूल और पब्लिक ट्रांसपोर्ट में बुर्का पहनने पर रोक है। यह नियम वर्ष 2007 में लागू किया गया था। कुछ समय बाद कॉलेजों और कुछ व्यवसायों में भी बुर्के को प्रतिबंधित कर दिया गया। टर्की का नियम थोड़ा अलग है। यहां महिलाओं को सिर्फ सिर ढकने की अनुमति हैं। उन्हें चेहरा खुला रखना जरूरी है। चीन के मुस्लिम बहुल शिनिजियांग प्रांत में महिलाओं के लिए सार्वजनिक स्थानों पर बुर्का पहनने पर पाबंदी है।

विरोध भी हुआ
फ्रांस में बुर्के पर प्रतिबंध लगाने से करीब 2,000 महिलाएं प्रभावित हुई हैं। वे तनाव के दौर से गुजर रही हैं। कई ने कानून तो़ड़ा भी हैं। वे बुर्का पहनती है या नहीं, इसकी बकायदा जांच की जाती है। वे बार-बार जांच का तनाव भी झेलती है। एक शख्य ने महिलाओं के लिए खास फंड बना दिया है। इससे बुर्का पहनने के लिए जुर्माना दे रही महिलाओं की आर्थिक मदद की जाती है। मुस्लिम संगठनों ने इस पाबंदी के खिलाफ आवाज भी उठाई है। यदि कोई महिला बुर्का पहनकर निकलती है तो ड्राइवर उन्हें बस पर चढ़ने नहीं देते। दुकानदार सामान नहीं देते। यही नहीं, नकाब को खींचने की कोशिश भी कोशिश होती हैं। नॉन्त और मार्से शहरों में हमले की घटनाएं हो चुकी हैं। पैरिस के पास ट्राप में दंगे भी हुए।

मानवाधिकार अदालत में केस
इस पाबंदी के खिलाफ एक महिला ने फ्रांस की सरकार के विरुद्ध यूरोपीय मानवाधिकार अदालत में केस कर दिया। वह प्रतिबंध की वजह से लंदन चली गई। मानवशास्त्र शोधकर्ता दुनिया बूजार कहती हैं कि यूरोप में मुसलमानों को इससे और नुकसान होगा। लोग बुर्के को मुस्लिम प्रतीक मानते हैं। कट्टरपंथी धार्मिक गुट यही चाहते हैं। वे बताना चाहते हैं कि बुर्का इस्लाम का हिस्सा है। राजनीति ऐसे लोगों की मदद कर रही है।

 
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