देश में विरोध को देशद्रोह की तरह नहीं देखा जाना चाहिए: जस्टिस दीपक गुप्ता

Monday, Feb 24, 2020 - 08:42 PM (IST)

नेशनल डेस्कः सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस दीपक गुप्ता ने सोमवार को कहा कि देश में विरोध को देशद्रोह की तरह देखा जा रहा है। हाल की कुछ घटनाओं में ऐसा देखा गया कि विरोध का सुर रखने वालों पर देशद्रोह का मुकदमा दायर किया गया है। जस्टिस गुप्ता ने कहा के यह सही नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित एक व्याख्यान लोकतंत्र व विरोध’ पर अपनी राय रखते हुए जस्टिस गुप्ता ने कहा कि लोकतंत्र में विरोध करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए। विरोधी स्वर को प्रोत्साहित किया जाना चाहए। बातचीत के जरिए देश को सही तरीके से चलाया जा सकता है। हाल की दिनों में विरोधी सुर रखने वालों को देशद्रोह बता दिया गया। उन्होंने यह भी कहा कि बहुसंख्यकवाद लोकतंत्र के खिलाफ है।

जस्टिस गुप्ता ने कहा कि किसी पार्टी को 51 फीसदी लोगों का समर्थन प्राप्त हो इसका यह मतलब नहीं कि बाकी 49 फीसदी लोगों को पांच वर्षों तक कुछ नहीं बोलना चाहिए। लोकतंत्र 100 फीसदी के लिए होता है। सरकार सभी के लिए होती है। लोकतंत्र में हर व्यक्ति की भूमिका होती है। जस्टिस गुप्ता ने कहा कि जब तक कोई कानून न तोड़े तोड़े, उसके पास हर अधिकार है। 

उन्होंने श्रेया सिंघल के मामले में जस्टिस रोहिंग्टन एफ नरीमन द्वारा दिए गए फैसले का हवाला देते हुए कहा कि अगर हम विरोधी सुर को दबाएंगे तो अभिव्यक्ति की आजादी पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

जस्टिस गुप्ता ने यह भी कहा कि नागरिकों को साथ मिलकर प्रदर्शन करने का अधिकार है लेकिन शांतिपूर्ण तरीकेसे। उन्होंने कहा कि सरकार हमेशा सही नहीं होती। हम सभी गलतियां करते हैं। सरकार को प्रदर्शन का दमन करने का अधिकार नहीं है जब तक प्रदर्शन हिंसक रूप अख्तियार न कर ले। सही मायने में वह देश आजाद है जहां अभिव्यक्ति की आजादी हो और कानून का शासन हो। 

Yaspal

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