Promise Day 2019: जो वादा किया वो, निभाना पड़ेगा

Monday, Feb 11, 2019 - 09:57 AM (IST)

ये नहीं देखा तो क्या देखा (Video)


जालंधर (शीतल): ‘वादा करले साजना, तेरे बिन मैं न रहूं, मेरे बिन तू न रहे हो के जुदा, ये वादा रहा...’,  बॉलीवुड में फिल्मों के गीतों में प्यार, कसमें, वादों व वफा की न जाने कितनी बातें की जाती हैं कि हर प्रेमी के दिल की ख्वाहिश होती है कि अगर वह अपने महबूब के साथ जिंदगी भर जीने की कसम खाएं तो उसे निभाएं भी। 

प्यार के मौसम के 5वें दिन को ‘प्रॉमिस डे’ के रूप में मनाया जाता है। वैलेंटाइन वीक के बीतने वाले हर दिन में प्यार के दीवाने एक एग्जाम पार करके अगली परीक्षा देने की तैयारी में जुट जाते हैं क्योंकि उन्हें पता है कि अगर वैलेंटाइन वीक के दौरान प्यार परवान चढ़ गया तो ठीक नहीं तो उन्हें फिर से एक साल का इंतजार करना पड़ेगा इन खास दिनों के लिए। युवाओं में तो पहले से ही वैलेंटाइन वीक के हर दिन को मनाने का क्रेज है पर अब तो बड़ों ने भी प्यार की अहमियत को स्वीकार कर लिया है क्योंकि प्यार सिर्फ प्रेमियों के लिए ही नहीं बल्कि यह तो हर उस रिश्ते के लिए है जिसका हम दिल से सम्मान करते हैं। 

 प्रॉमिस डे पर वादे होंगे थोड़ा फिल्मी अंदाज में 

बॉलीवुड का युवाओं पर इतना प्रभाव होता है कि अगर उनके दिल की बात जुबां पर नहीं आ पाती तो फिल्मी गाने, डायलॉग उनका काम आसान कर देते हैं। युवाओं का मानना है कि आजकल बातचीत हर किसी से ज्यादा नहीं हो पाती इसलिए फिल्मी डायलॉग जहां काम को आसान बना देते हैं वहीं माहौल को गंभीर भी नहीं होने देते। ऐसे में अगर मामला बिगड़ जाए तो उसे संभालने की गुजाइंश अधिक होती है। रोहित दुग्गल का मानना है कि बॉलीवुड में हर मौके के लिए गीत और डायलॉग मौजूद हैं, बस उन्हें सही वक्त पर यूज करना आना चाहिए। सौरभ का मानना है कि कई बार अपने दोस्त के सामने आते ही जुबां साथ नहीं देती ऐसे में दिल की बात बोलना मुश्किल होता है पर फिल्मी डायलॉग बोलने थोड़े आसान होते हैं।

क्या सच साबित होंगे यह वादे?

प्रॉमिस डे पर युवा हर दिन को मनाने के लिए बहुत बार कई वादे भी कर लेते हैं, उनकी सच्चाई तो समय बीतने के साथ ही पता चलती है कि वह सच थे या झूठ। आशिमा महाजन का मानना है कि युवा मस्ती में जो वादे करते हैं, उनको निभाना तो दूर शायद उनको उनके सही अर्थ भी नहीं पता होते। इसलिए उन पर खरे उतरना अपने आप में कई सवाल पैदा करते हैं। मोनिका का मानना है कि टीनएजर्स पर फिल्मी असर की वजह से ही वे चांद-तारे लाने तक की बातें करते हैं पर जिंदगी की सच्चाई सामने आते ही उन वादों का बोझ सहना थोड़ा मुश्किल लगता है। रश्मि का मानना है कि प्रॉमिस-डे तो क्या उनके पति शादी होते ही उन्हें बाजार ले जाने का वायदा भी पूरा नहीं कर पाते। ऐसे में युवा तो वैलेंटाइन-डे को मस्ती में ही मनाते हैं तो उनके वादे कितने सच्चे होंगे?

 वादा किया तो निभाना 

इशिता का मानना है कि प्रॉमिस तभी करना चाहिए जब दिल में उसे निभाने का इरादा हो। प्रॉमिस करना और फिर उसे तोडऩा रिवाज बन गया है। आजकल फ्रैंड्स अपनी हर बात को सच में साबित करने के लिए ‘गॉड प्रॉमिस’ करते हैं, जबकि अगर वादा किया है तो उसे दिल से निभाएं भी। 

प्रॉमिस करके उसे बाद में न निभाना ऐसे सिर्फ फ्रैंड्स ही नहीं घर में बड़े भाई-बहन और मां-बाप भी करते हैं। गुंजन का मानना है कि वैलेंटाइन-डे पर किए जाने वाले वादे सिर्फ फोरमैलिटी के लिए ही होते हैं।

‘प्रॉमिस’ करने का मतलब है जब आप किसी से दिल से प्यार करते हैं, आपको किसी की परवाह है। इससे रिश्तों में मजबूती प्यार, विश्वास, आत्मविश्वास पैदा होता है। कई बार हम जिंदगी में लक्ष्य निर्धारित करके स्वयं से भी कई वादे करते हैं और जब वह पूरे नहीं हो पाते तो कुछ कमी-सी खलने लगती है जिससे दिल उदास, निराश होता है। 

इसलिए वादा करके उसे निभाने पर जीवन में नई उर्जा मिलती है। कई बार युवा जब मस्ती-मजाक में शरारत से दोस्तों संग वादे करके उसे भूल जाते हैं तो जिससे वादा किया जाता है, वह उसके टूटने से स्ट्रैस में आ सकते हैं। ऐसे में दिल का चैन और नींद उड़ जाती है। कई बार युवा निराशा के घेरे में घिरकर हिंसक भी हो सकते हैं।  -डा. संजीव लोचन, सिविल अस्पताल फगवाड़ा।

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Niyati Bhandari

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