निर्भया के दोषियों की फांसी अब दूर नहीं, राष्ट्रपति ने खारिज की दोषी अक्षय की याचिका

Wednesday, Feb 05, 2020 - 09:29 PM (IST)

नई दिल्ली: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले के चार दोषियों में एक अक्षय कुमार सिंह की दया याचिका खारिज कर दी है। गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने बुधवार को इस बारे में बताया। सिंह ने कुछ दिन पहले राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दाखिल की थी। एक अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रपति ने सिंह की दया याचिका खारिज कर दी। कोविंद मामले में दो अन्य आरोपियों मुकेश सिंह और विनय कुमार शर्मा की दया याचिका पहले ही खारिज कर चुके हैं।

इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को कहा कि निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले के सभी दोषियों को एक साथ फांसी दी जाए, न कि अलग- अलग। इसके साथ ही अदालत ने फांसी पर रोक के निचली अदालत के फैसले के खिलाफ केंद्र की याचिका को खारिज कर दिया। फैसले का अहम हिस्सा पढ़ते हुए न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत ने दोषियों को निर्देश दिया कि वे उपलब्ध कानूनी उपचारों के तहत सात दिन के अंदर आवदेन कर सकते हैं, जिसके बाद अधिकारियों को कानून के अनुसार कार्रवाई करनी चाहिए। 


अदालत ने संबंधित अधिकारियों को इस बात के लिए कसूरवार भी ठहराया कि उन्होंने 2017 में उच्चतम न्यायालय द्वारा अभियुक्तों की अपील खारिज किए जाने के बाद मृत्यु वारंट जारी करने के लिए कदम नहीं उठाया। पीड़िता के माता-पिता और दिल्ली सरकार ने चारों दोषियों को फरवरी 2019 और 18 दिसंबर 2019 को मौत की सजा देने के लिए मृत्यु वारंट जारी करने की मांग की थी। न्यायाधीश ने कहा,“ मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि मई 2017 में उच्चतम न्यायालय द्वारा एसएलपी (विशेष अनुमति याचिका) खारिज करने के बाद किसी ने भी उनकी फांसी के लिए मृत्यु वारेंट जारी कराने के लिए कदम नहीं उठाए।” 

अदालत ने कहा, “ सभी अधिकारी सो रहे थे और इस बात का इंतज़ार कर रहे थे कि दोषी अक्षय अपनी मौत की सज़ा को बरकरार रखने वाले उच्चतम न्यायालय के फैसले को चुनौती देने के लिए नौ दिसंबर 2019 को पुनर्विचार याचिका दायर करे। शीर्ष अदालत ने 18 दिसंबर 2019 को उसकी पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी। 


अदालत ने कहा कि इस बात में कोई विवाद नहीं है कि चारों दोषियों को एक युवती से बलात्कार और हत्या के भयानक,क्रूर खौफनाक, घिनौने, वीभत्स, डरावने और रूह कपां देने वाले जुर्म के लिए दोषी ठहराया गया है। ‍इस घटना ने देश की अंतरात्मा को हिला दिया था। अदालत ने हालांकि कहा, “इस बात में मतभेद नहीं हो सकता है कि दोषियों ने देरी करने के हथकंडों को इस्तेमाल करके प्रक्रिया को बाधित किया है।” उच्च न्यायालय ने केंद्र की निचली अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया। 

shukdev

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