देश के नाम संबोधन में बोलीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, हाल के वर्षों में दुनिया ने नए भारत को विकसित होते देखा

Sunday, Aug 14, 2022 - 07:32 PM (IST)

नेशनल डेस्क: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित किया। राष्ट्रपति के तौर पर राष्ट्र के नाम यह उनका पहला संबोधन है। अपने संबोधन में द्रौपदी मुर्मू ने 76वें स्वाधीनता दिवस की पूर्व संध्या पर देश-विदेश में रहने वाले सभी भारतीयों को हार्दिक बधाई दी। उन्होंने कहा कि 14 अगस्त के दिन को विभाजन-विभीषिका स्मृति-दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। इस स्मृति दिवस को मनाने का उद्देश्य सामाजिक सद्भाव, मानव सशक्तीकरण और एकता को बढ़ावा देना है। हमारा संकल्प है कि वर्ष 2047 तक हम अपने स्वाधीनता सेनानियों के सपनों को पूरी तरह साकार कर लेंगे। 

दुनिया ने हाल के वर्षों में नए भारत को विकसित होते देखा

राष्ट्रपति ने कहा कि इस मिट्टी में न केवल लोकतंत्र की जड़ें बढ़ीं, बल्कि समृद्ध भी हुईं। हम भारतीयों ने संदेह जताने वाले लोगों को गलत साबित किया। लोकतंत्र की वास्तविक क्षमता का पता लगाने में दुनिया की मदद करने का श्रेय भारत को दिया जा सकता है। राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि दुनिया ने हाल के वर्षों में नए भारत को विकसित होते देखा है, विशेषकर कोविड-19 महामारी के प्रकोप के बाद। राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उद्देश्य भविष्य की पीढ़ी को औद्योगिक क्रांति के अगले चरण के लिए तैयार करना है, इसे विरासत से जोड़ना है। 

उन्होंने कहा कि 15 अगस्त 1947 के दिन हमने औपनिवेशिक शासन की बेड़ियों को काट दिया था। उस शुभ-दिवस की वर्षगांठ मनाते हुए हम लोग सभी स्वाधीनता सेनानियों को सादर नमन करते हैं। उन्होंने अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया ताकि हम सब एक स्वाधीन भारत में सांस ले सकें। उन्होंने कहा कि अधिकांश लोकतांत्रिक देशों में वोट देने का अधिकार प्राप्त करने के लिए महिलाओं को लंबे समय तक संघर्ष करना पड़ा था, लेकिन हमारे गणतंत्र की शुरुआत से ही भारत ने सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार को अपनाया।

‘आजादी का अमृत महोत्सव’ भारत की जनता को समर्पित

उन्होंने कहा कि ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ मार्च 2021 में दांडी यात्रा की स्मृति को फिर से जीवंत रूप देकर शुरू किया गया। उस युगांतरकारी आंदोलन ने हमारे संघर्ष को विश्व-पटल पर स्थापित किया। उसे सम्मान देकर हमारे इस महोत्सव की शुरुआत की गई। यह महोत्सव भारत की जनता को समर्पित है। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष से हर 15 नवंबर को ‘जन-जातीय गौरव दिवस’ के रूप में मनाने का सरकार का निर्णय स्वागत-योग्य है। हमारे जन-जातीय महानायक केवल स्थानीय या क्षेत्रीय प्रतीक नहीं हैं बल्कि वे पूरे देश के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। 

भारत विविधताओं से भरा है

स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर देश के नाम अपने संबोधन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि स्वतंत्रता दिवस मनाने में, हम अपनी 'भारतीयता' मनाते हैं। भारत विविधताओं से भरा है। लेकिन, हम सभी में कुछ न कुछ एक समान भी होता है। यही सामान्य धागा है जो हमें एक साथ बांधता है और हमें 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' की भावना के साथ चलने के लिए प्रेरित करता है। कल वह दिन है जब हमने अपने आप को औपनिवेशिक शासकों की बेड़ियों से मुक्त किया। 

rajesh kumar

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