'प्रकृति की सहन करने की एक सीमा है', सीरिया और टर्की में आए विनाशकारी भूकंप पर बोलीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मूं

Thursday, Feb 09, 2023 - 06:56 PM (IST)

नेशनल डेस्कः राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू जी ने टर्की और सीरिया में आये भूकंप से जोड़ते हुए कहा कि प्रकृति की सहन करने की सीमा है। जब ये सीमा टूटती है तो ऐसी आपदा आती है। इसलिए जरूरतें कम करें और खुद को सशक्त करें। राष्ट्रपति आज ॐ शांति रिट्रीट सेंटर, गुरुग्राम में बातें कहीं। वे यहां बतौर मुख्यातिथि मौजूद थीं। उन्होंने भारत में होने वाले G20 सम्मेलन का भी जिक्र किया। उन्होंने आयोजकों के लिए एक एजेंडा दिया कि कैसे हम महिलाओं के आध्यात्मिक सशक्तिकरण किया जाए,  इस पर भी बात हो। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत को विश्वगुरू बनाने के लिए सिर्फ आर्थिक नहीं आध्यात्मिक मजबूती पर भी बात हो। ठीक उसी तरह जैसे हमारे ऋषि मुनियों ने तप की शक्ति से भारत को बनाया था।

राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि आध्यात्मिक होकर ही हम जीवन को आगे बढ़ा सकते हैं। धन के पीछे भागने से कुछ न हासिल कर पाएंगे। धन से आनन्द प्राप्ति नहीं होगी।जैसे देश संविधान से चलता है। हमें खुद को चलाने के लिए नियम तय करने होंगे। राष्ट्रपति ने बताया कि आज इसकी सबसे बड़ी जरूरत है। जीवन मूल्यों के बिना कुछ नहीं है। समय रहते खुद को संभाल लें।

राष्ट्रपति ने उड़िया भाषा में एक प्रचलित गीत के द्वारा बताया कि कैसे हम सब निद्रा में है। हमारी आत्मा सोई हुई है। उस नींद से जागना है, समय रहते खुद को संभालना है क्योंकि यहां सबको एक दिन मृत्यु के समंदर में डूब जाना है। ज्ञान और अध्यात्म का संयोजन हो स्त्री में गार्गी और भारती, कस्तूरबा, मीरा आदि ऐसे अनेक उदाहरणों से भारत की स्त्रियों को देख सकते हैं। आज ऐसी ही स्त्री भारत की प्रगति का पथ प्रशस्त कर सकती हैं।

Yaspal

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