इन अधिकारियों से भी कम है देश के राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का वेतन

Sunday, Nov 19, 2017 - 07:40 PM (IST)

नेशनल डेस्क: भारत लोकतांत्रिक देश ही नहीं, बल्कि एक गणतांत्रिक राष्ट्र भी है और इसकी शोभा बढ़ाते हैं राष्ट्रपति। इसीलिए उन्हे ‘फस्र्ट सिटिजन’ की संज्ञा भी दी जाती है लेकिन क्या आप जानते हैं लोकतंत्र के सबसे ऊंचे पायदान पर विराजमान राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति की सैलरी देश के शीर्ष नौकरशाहों और सेवा प्रमुखों से कम है। ऐसा इसलिए है क्योंकि दो साल पहले सातवें आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद सरकारी कर्मचारियों के वेतन में काफी इजाफा हुआ लेकिन राष्ट्रपति के वेतन में 2008 के बाद कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है। 

कैबिनेट से सैलरी बढ़ाने की नहीं मिली मंजूरी 
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी के अनुसार राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और राज्यों के गवर्नर की सैलरी बढ़ाने का प्रपोजल मोदी कैबिनेट में अटका हुआ है। होम मिनिस्ट्री ने इसे पिछले साल मंजूरी के लिए कैबिनेट के पास भेजा था। लेकिन सालभर के ज्यादा वक्त बीतने के बाद भी इसे मंजूरी नहीं मिली है। अभी राष्ट्रपति को प्रतिमाह डेढ़ लाख रुपये, उप राष्ट्रपति को सवा लाख रुपये और राज्यों के राज्यपाल को 1.10 लाख रुपये प्रतिमाह वेतन मिलता है। 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के एक जनवरी 2016 के लागू होने के बाद देश के सर्वोच्च नौकरशाह कैबिनेट सचिव का वेतन अढ़ाई लाख रुपये प्रतिमाह है जबकि केंद्र सरकार के सचिवों का वेतन प्रतिमाह सवा दो लाख रुपये है।

सेवा प्रमुखों से भी कम है राष्ट्रपति का वेतन
राष्ट्रपति तीनों सशस्त्र सेनाओं जल, थल और वायु- के सर्वोच्च कमांडर भी होते हैं लेकिन उनका वेतन तीनों सेनाओं के प्रमुखों से भी कम हैं जिन्हें कैबिनेट सचिव के बराबर वेतन मिलता है। सरकार के प्रवक्ता से जब पूछा गया कि गृह मंत्रालय के प्रस्ताव को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी मिलने में होने वाली देरी की वजह क्या है तो उनकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। अधिकारी ने कहा कि मंत्रालय के प्रस्ताव को मंत्रिमंडल से मंजूरी मिलने के बाद इस आशय का विधेयक संसद में पेश किया जायेगा। 
 

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