पालघर में गर्भवती महिला की एम्बुलेंस में मौत, ऑक्सीजन और सुविधाओं की कमी रही वजह
punjabkesari.in Wednesday, Nov 27, 2024 - 02:43 PM (IST)
नेशनल डेस्क. महाराष्ट्र के पालघर जिले में एक दुखद घटना सामने आई है, जहां एक गर्भवती महिला की अस्पताल जाते समय एम्बुलेंस में मौत हो गई। इस महिला की मौत के लिए अधिकारियों का कहना है कि एम्बुलेंस में आवश्यक ऑक्सीजन और अन्य मेडिकल सुविधाओं की कमी थी। यह घटना मंगलवार को हुई जब महिला को प्रसव पीड़ा के दौरान गंभीर हालत में कासा के एक ग्रामीण अस्पताल लाया गया था।
घटना का विवरण
पालघर जिले के सिविल सर्जन डॉ. रामदास मराड के मुताबिक, पिंकी डोंगरकर नामक 26 वर्षीय गर्भवती महिला को उसके परिवार ने मंगलवार शाम कासा अस्पताल लाया था, लेकिन महिला की हालत गंभीर होने के कारण अस्पताल के कर्मचारियों ने उसे पास के सिलवासा शहर स्थित अस्पताल में रेफर कर दिया। सिलवासा जाने के लिए परिवार ने 108 आपातकालीन सेवा से एक विशेष एम्बुलेंस की मांग की, जिसमें ऑक्सीजन और अन्य जरूरी चिकित्सा सुविधाएं हों।
हालांकि, परिवार को कई बार अनुरोध करने के बावजूद कोई जवाब नहीं मिला और अंततः कासा अस्पताल से उन्हें एक सामान्य एम्बुलेंस दी गई। यह सामान्य एम्बुलेंस बिना ऑक्सीजन और जरूरी उपकरणों के थी। सिलवासा के रास्ते में महिला की हालत बिगड़ गई और उसकी मौत हो गई। स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक, महिला के साथ उसका भ्रूण भी जीवित नहीं था।
स्वास्थ्य अधिकारियों की प्रतिक्रिया
स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मराड ने बताया कि अगर महिला को समय पर उचित इलाज मिल जाता, तो उसकी जान बचाई जा सकती थी। महिला को अस्पताल लाने के समय वह अर्ध-चेतन थी और गंभीर संक्रमण के लक्षण दिखा रही थी। एम्बुलेंस में आवश्यक उपकरण और ऑक्सीजन की कमी के कारण महिला की मौत हुई। यह भी माना जा रहा है कि अत्यधिक मांग के कारण एम्बुलेंस समय पर उपलब्ध नहीं हो सकी।
नेताओं की प्रतिक्रिया
पालघर से लोकसभा सदस्य डॉ. हेमंत सवारा ने इस घटना पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि स्वास्थ्य विभाग को इस मामले में तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि भविष्य में इस तरह की घटना न हो। एम्बुलेंस सेवाओं में पर्याप्त ऑक्सीजन और कार्डियक सपोर्ट सुविधाएं होनी चाहिए। इसके अलावा मरीज के साथ एक डॉक्टर का होना भी जरूरी है।
पालघर के दहानू से नवनिर्वाचित विधानसभा सदस्य और माकपा नेता विनोद निकोले ने राज्य सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि आदिवासी इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति बहुत खराब है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने इन क्षेत्रों की स्वास्थ्य देखभाल की जरूरतों को नजरअंदाज किया है और अन्य योजनाओं को प्राथमिकता दी है।