प्रधानमंत्री मोदी अपनी सुरक्षा को लेकर रहें सतर्क !

Friday, Jun 21, 2019 - 01:59 PM (IST)

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नई दिल्ली (स.ह.): प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जन्म 17 सितम्बर 1950 को सुबह 11 बजे मेहसाना में हुआ। उनकी कुंडली उतनी ही मजबूत है, जितनी उनकी वाणी का ओज। लग्र भाव में नीचस्थ चंद्रमा लग्रेष मंगल के साथ स्थित है। चंद्रमा-मंगल की युति व्यक्ति को अपने लक्ष्यों के प्रति जिद्दी तो बनाती है, साथ ही सत्ता ताकत भी देती है। चंद्रमा एकाग्रता देता है तथा मंगल सामर्थ्य। सूर्य उनकी कुंडली में कर्मेष होकर उच्चस्थ आयेश बुध के साथ है। 

श्री मां चिन्तपूर्णी ज्योतिष संस्थान महारानी बाग दिल्ली की ज्योतिषी आचार्य रेखा कल्पदेव के अनुसार मोदी की कुंडली में शनि पर गुरु ग्रह की दृष्टि व्यक्ति को विशिष्ट उपलब्धियां देकर सफलता का मार्ग प्रशस्त करती है। आचार्य रेखा ने संजय गांधी तथा मोदी की कुंडली का तुलनात्मक अध्ययन करते हुए कहा कि मोदी को 2022 से 2025 तक सुरक्षा को लेकर अत्यंत सतर्क रहना होगा क्योंकि यह समय कष्टकारी है। दोनों की कुंडलियों में केतु बुध के नक्षत्र में है। अष्टमेष का केतु के साथ युति संबंध और नक्षत्र स्वामी का एक समान होना आयु कष्ट को इंगित करता है।

संजय गांधी की कुंडली में अष्टमेष बुध के जेष्ठा नक्षत्र में है। केतु को मृत्यु की गति का निर्धारक कहा गया है। चंद्रमा मार्केश होने पर स्वयं मार्केश का कार्य नहीं करते हैं बल्कि अन्य ग्रहों के माध्यम से यह कार्य करते हैं, इसलिए राहु की महादशा में संजय गांधी की हवाई दुर्घटना में मौत हुई। जन्मपत्री में केतु के नक्षत्र में 2 ग्रह स्थित हैं, जिनमें से एक सूर्य है, जोकि अष्टमेष बनता है, दूसरा मंगल ग्रह है, जो मृत्यु भाव में स्थित है। प्रधामंत्री नरेन्द्र मोदी की कुंडली में अष्टमेष बुध आत्मकारक सूर्य और केतु लगभग एक समान अंशों में हैं और बहुत कम अंशों के साथ स्थित हैं। राहु महादशा में राहु की अन्तरदशा संजय गांधी के लिए प्राणघातक सिद्ध हुई थी। 

आचार्य रेखा ने कहा कि नरेन्द्र मोदी की कुंडली में 28 अप्रैल 2022 से 29 मार्च 2025 के मध्य शनि जन्म समय से सप्तम भाव पर गोचर करेंगे। यह अवधि कष्टकारी रह सकती है जिसके उपरांत मोदी की कुंडली में राहु महादशा में राहु की अन्तरदशा 2028 से 2031 के मध्य तक रहेगी। यह समय भी काफी कष्टकारी रहने के आसार हैं। उन्हें अपनी सुरक्षा व्यवस्था पर ध्यान देना होगा। ऐसे समय में हवाई यात्राएं करते समय और भी सावधानी रखनी होगी। 

उन्होंने कहा कि संजय गांधी का प्रारंभिक जीवन सुखद व उल्लासपूर्ण रहा। भोग विलास, आनंद व जीवन के सभी सुख उन्हें सहजता से प्राप्त हुए। पंचम का राहु गैर-पारंपरिक विषयों के साथ शिक्षा देता है, उनकी कुछ शिक्षा घर में व कुछ बाहर भी देता है। वहीं प्रधानमंत्री मोदी और संजय दोनों की कुंडलियों में लग्रेष लगन भाव को प्रभावित कर रहे हैं। संजय की कुंडली में लग्रेष सप्तम भाव से लगन को बल दे रहा था तो मोदी की कुंडली में लग्रेष मंगल स्वराशि वृश्चिक में स्थित है।

दोनों की कुंडलियों में 12वें घर का स्वामी कर्म स्थान में है। दोनों की कुंडलियों में अष्टमेश एकादश स्थान में स्थित है तथा दोनों की कुंडलियों में अष्टम से अष्टम भावेश अपने से अष्टम भाव में स्थित है। मोदी की कुंडली में केतु अष्टमेष बुध दोनों की अंशों में निकटता है, इस स्थिति में दोनों ही एक-दूसरे के फलों को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं। यहां भी केतु अहम भूमिका निभा सकते हैं। 

Niyati Bhandari

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