3 लाशें, 3 कप... और कातिल बना पुलिस के लिए पहेली

Monday, Aug 27, 2018 - 11:33 AM (IST)

नई दिल्ली(संजीव यादव): 21 सितंबर 2012, शुक्रवार का दिन पुलिस कंट्रोल रूम को सूचना मिली कि रोहिणी सेक्टर 17, पॉकेट बी में घर में तीन लोगों की हत्या कर दी गई है। तीन हत्याएं सुनकर तत्काल पुलिस पहुंची और वरिष्ठ अधिकारी भी। पता चला  कि  जिन लोगों की हत्या की गई उसमें योगेंद्र प्रताप सिंह चौहान (57 साल), उनकी पत्नी रेखा (55 साल) व बेटी रोजी उर्फ करिश्मा (21 साल) के शव थे। पुलिस को हत्या की सूचना योगेन्द्र के एक मित्र प्रकाश ने दी थी जो सुबह योगेन्द्र को जगाने आया था। गला रेतकर की गई हत्या: योगेन्द्र, रेखा और उनकी बेटी करिश्मा तीनों के शव अलग अलग जगहों पर पड़े थे। योगेंद्र का शव ग्राउंड फ्लोर पर, जबकि रेखा व रोजी के शव प्रथम तल पर पड़े मिले थे।

तीनों की हत्या से पहले किया गया था भारी चीज से वार 
 तीनों की हत्या से पहले उनके सिर पर किसी भारी चीज से वार किया गया था और बाद में रेखा और उनकी बेटी का गला भी रेता गया था।  पुलिस को रेखा के शव के पास एक तकिया भी मिला,पुलिस के मुताबिक सबसे पहले रेखा को इसी तकिए से गला दबा मारने की कोशिश की गई थी। क्राइम सीन से पुलिस ने अंदाजा लगाया कि योगेन्द्र जिस कमरे में था उस कमरे में तीन चाय के कप थे, शायद रात में कोई आया था जिनके साथ योगेन्द्र ने चाय पी थी। बेटी और पत्नी अपने-अपने कमरों में थे। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक घर में दो डंबल भी पाए गए, जिन पर खून के निशान थे, जिससे अंदाजा लगाया गया कि योगेन्द्र और उनकी पत्नी के सिर पर इसी से वार किया गया था। 

वारदात वाली सुबह वैष्णो देवी जाना था 
जांच अधिकारी के मुताबिक 21 सितंबर की सुबह योगेंद्र प्रताप व उनकी पत्नी रेखा को अपने पड़ोस के लोगों के साथ वैष्णो देवी जाना था। इलाके से कई लोग एक साथ वैष्णो देवी जा रहे थे। जब योगेंद्र व उनकी पत्नी सुबह बस में नहीं पहुंचे तो उन्हें बुलाने के लिए फोन किया गया। लगातार फोन मिलाया गया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। इसके बाद उनके एक पड़ोसी उन्हें बुलाने के लिए घर आए तो इस पूरी वारदात का पता चला।

30 करीबियों से पूछताछ ,72 लोगों के फ्रिंगर प्रिंट 
पुलिस ने जांच में पहले थाने की पुलिस, फिर क्राइम ब्रांच इसके बाद दो इंस्पेक्टरों की टीम को लगाया, लेकिन 6 साल बीत गए न तो कातिल का पता चला और नही सुराग। पुलिस के मुताबिक इस मामले में उनके करीब 30 लोगों से गहन पूछताछ की गई और 72 लोगों के फ्रिंगर प्रिंट भी मैच कराए गए, लेकिन कुछ हल नहीं निकला। 

पुलिस ने कर दी फाइल बंद
कहने को पुलिस के लिए ये केस चुनौती भरा था, लेकिन 6 साल में जब कोई सुराग नहीं मिला तो मौजूदा समय में ये फाइल थाने में बंद कर रख दी गई है और जांच अधिकारी भी इससे मुंह मोड़ चुके हैं। ऐसे में क्या दिल्ली पुलिस से उम्मीद की जा सकती है कि वह इस ब्लाइंड मर्डर केस को साल्व कर पाएगी। 

लूटपाट नहीं हुई थी
पुलिस के मुताबिक मोटिव लूट का था, लेकिन घर से कोई सामान लूटा नहीं गया था, इसलिए पुलिस को तीन ही एंगल पर जांच करनी शुरू की, लेकिन न प्रापर्टी विवाद निकला, न ही बेटी का किसी से संबंध और ऐसा कोई भी सुराग पुलिस को नहीं मिला जिससे कयास लगाए गए हो कि हत्या का कारण ये हो सकता है। 

जानकारों पर भी शक लेकिन हाथ खाली
जांच में जो पहली चीज सामने आई, वह यह थी कि हत्यारे ने घर में फ्रेंडली एंट्री, पुलिस को मौके से तीन कप मिले थे, जिनसे मालूम हुआ कि हत्या से पहले इन लोगों ने चाय पी थी। चाय के तीन प्याले मिलना और दरवाजा खुला होना इस बात की ओर इशारा कर रहा था कि हत्या को अंजाम देने वाला व्यक्ति चौहान परिवार का परिचित था, जिसके लिए उन लोगों ने न सिर्फ खुद दरवाजा खोला था, बल्कि उसे चाय भी पिलाई  थी। घर में एंट्री भी मेन गेट से ही हुई थी, क्योंकि छत या फिर पिछले रास्ते के दरवाजों पर अंदर से ताला लगा हुआ था। 


 

Anil dev

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