प्रशांत किशोर 2019 में फिर बन सकते हैं किंगमेकर

Saturday, Sep 22, 2018 - 08:48 AM (IST)

नई दिल्ली: विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ काम कर चुके प्रशांत किशोर पिछली सीट पर बैठकर रणनीति बनाने के बजाय अब आगे की कतार में रहकर सीधे राजनीति में शामिल हो चुके हैं। पिछले हफ्ते पटना में वे औपचारिक रूप से जदयू पार्टी में शामिल हो चुके हैं। राजनीति में सीधे उतरने के उनके इस फैसले के समय, जगह तथा पार्टी पर नजर रखने वालों का मानना है कि आने वाले समय में वे एक बार फिर किंगमेकर की भूमिका निभा सकते हैं।पिछले हफ्ते मुख्यमंत्री निवास 1 अणे मार्ग, पटना में नीतीश कुमार ने खुद प्रशांत किशोर को पार्टी की सदस्यता प्रदान की। वे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं। जदयू में आने वाले समय में प्रशांत किशोर की क्या अहमियत होगी इसका संकेत अभी से मिलने लगा है। पिछले लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी व भाजपा के लिए रणनीतिकार रह चुके 2015 के चुनाव में बिहार में भाजपा के ही खिलाफ बने जदयू, राजद व कांग्रेस गठबंधन के साथ काम करके अपनी रणनीति का लोहा मनवा चुके हैं। आज स्थितियां बदल गयी हैं। 



जदयू एक बार फिर से भाजपा के साथ है। अगले कुछ महीनों बाद लोकसभा चुनाव होने हैं। भाजपा जैसी कद्दावर पार्टी के साथ चुनावी गठबंधन के लिए सौदेबाजी, चुनावी रणनीति बनाने जैसे तमाम मामलों में प्रशांत किशोर जदयू के मुख्य सूत्रधार होंगे। नीतीश कुमार उन पर भरोसा करते हैं। वे जदयू को राजनैतिक सौदेबाजी तथा रणनीति दोनों मामलों में खास मददगार साबित होंगे। पिछले विधानसभा चुनाव में जिस मेहनत व भरोसे के साथ बिहार की राजनीति के दो अलग ध्रुव माने जाने वाले लालू यादव तथा नीतीश कुमार को उन्होंने एक साथ ला खड़ा किया था वह उनके रणनीतिक कौशल का परिचायक है। जदयू को भरोसा है कि लोकसभा चुनाव में भी उनकी इस खासियत का पार्टी को विशेष लाभ मिलेगा। चुनाव में अभिनव प्रयोग के लिए भी प्रशांत किशोर को जाना जाता है।



वर्ष 2014 के आम चुनाव में मोदी की चाय पर चर्चा हो या बिहार चुनाव में नीतीश कुमार का हर घर दस्तक की योजना, सबके पीछे प्रशांत किशोर का दिमाग रहा है। अब जबकि अगले चुनाव में बिहार में मोदी व नीतीश कुमार साथ-साथ होंगे, प्रशांत कुमार दोनों ही टीम के लिए राज्य में रणनीतिकार के रूप में भूमिका निभा सकते हैं। जदयू के नेता भी प्रशांत किशोर के पार्टी में शामिल होने को लोकसभा चुनाव में बड़े बदलाव के रूप में देख रहे हैं। वे भाजपा व विरोधी दलों के बीच जदयू कार्यकर्ताओं में चुनाव प्रचार के दौरान एक आत्मविश्वास भी पैदा करेंगे। अभी राज्य में भाजपा के साथ सीटों के तालमेल में भी प्रशांत किशोर जदयू की ओर से महत्वपूर्ण भूमिका में रह सकते हैं। 



ऐसा भी नहीं है कि प्रशांत किशोर को लेकर जदयू में सभी नेता खुश हैं। जानकारों का मानना है कि उनके पार्टी में शामिल होने से अभी तक पार्टी में कद्दावर माने जाने वाले कुछ नेताओं का कद घट भी सकता है। मुख्यमंत्री के अभी तक खास रहे तथा पार्टी में नम्बर दो की हैसियत वाले नेता आरसीपी सिंह का भी कद पीके के आने से घट सकता है। पिछले दिनों हुए उप चुनाव का नेतृत्व आरसीपी सिंह कर रहे थे लेकिन पार्टी को इन चुनावों में पार्टी को खास सफलता नहीं मिली। कुछ दूसरे नेता भी प्रशांत किशोर को मुख्यमंत्री की ओर से मिलने वाली तरजीह से अंदरखाने नाराज बताये जा रहे हैं।  

Anil dev

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