रामसेतु के साथ नहीं होनी चाहिए छेड़छाड़: प्रसाद

Wednesday, Dec 13, 2017 - 04:59 PM (IST)

नई दिल्ली: केन्द्रीय विधि और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने राम सेतु को भारत की अमूल्य सांस्कृतिक धरोहर बताते हुए कहा कि इस मामले में किसी को भी दखलअंदाजी की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए और इस सेतु की पवित्रता भंग नहीं होनी चाहिए। प्रसाद ने एक अमरीकी टेलीविजन शो में रामसेतु को मानवनिर्मित ढांचा बताए जाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए यह बात कही। बता दें कि मंगलवार को इस शो में वैज्ञानिकों और पुरातत्वविद्दों के हवाले से कहा गया था कि भारत और श्रीलंका को समुद्र के भीतर से जोडऩे वाला रामसेतु प्राकृतिक रूप से नहीं बना है बल्कि यह मानव निर्मित है। 

रामसेतु भारतीय संस्कृति की अमूल्य धरोहर 
प्रसाद ने संसद पर हमले की 16वीं बरसी के अवसर पर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद संसद परिसर से बाहर संवाददाताओ से बातचीत में यह प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने पत्रकारों के सवाल पर कहा कि हमारी जानकारी में यह बात आयी है कि ऐसा कहा जा रहा है कि रामसेतु मानव निर्मित है और उसमें इस्तेमाल पत्थर हजारों वर्ष पुराने हैं। इस खुलासे का हम स्वागत करते हैं लेकिन साथ ही यह भी कहना चाहेंगे कि रामसेतु भारतीय संस्कृति की अमूल्य धरोहर है जिसकी पवित्रता भंग करने की इजाजत किसी को नहीं मिलनी चाहिए। 

रिजिजू ने किया प्रसाद का समर्थन
प्रसाद के कथन का समर्थन करते हुए गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने भी कहा कि यह बात उन लोगों के सवाल का जवाब है जो यह कहते आए हैं कि रामसेतु मानव निर्मित नहीं है। उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय शोध यह साबित कर चुके है कि यह पुल मानव निर्मित ही है। अमरीका के एक साइंस चैनल ने मंगलवार को ‘व्हाट ऑन अर्थ’ कार्यक्रम में रामसेतु पर पैनल चर्चा का प्रसारण किया था। इस चर्चा में एक पुरातत्वविद् ने कयी सारे तथ्य पेश करते हुए कहा था कि रामसेतु प्राकृतिक नहीं बल्कि मानवनिर्मित ढ़ाचां है। भारत में रामायण कथा के अनुसार ऐसी लोकआस्था है कि इस पुल का निर्माण भगवान राम की वानरसेना द्वारा लंका अभियान के लिए किया गया था।  

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