रिसर्च में सामने आया वोटरों का मिजाज

Tuesday, May 03, 2016 - 08:15 PM (IST)

विश्व में अमरीका के राष्ट्रपति को बहुत शक्तिशाली माना जाता है। उसका चुनाव भी एक लंबी प्र​क्रिया के बाद होता है, जो अंतिम परिणामों के प्रति सिर्फ अमरीका ही नहीं,अन्य देशों के लोगों की उत्सुकता को बढ़ा देता है। अपने देश की कमान किसे सौंपनी है इसका फैसला देश के नागरिक सोच समझ कर ही करते हैं। फिर भी शोधकर्ता प्रयास करते हैं कि इसमें से नई से नई जानकारी जुटाई जाए। वोटरों के बारे में किए अध्ययन के अनुसार अमरीका में ऐसे वोटर भी हैं जो हर बार राष्ट्रपति के चुनाव के अवसर पर वोट डालने जाते हैं। लेकिन ये लोग राजनीति से बहुत कम संबंध रखते हैं। कारण,वे राजनीति की इस प्रक्रिया से बोर हो चुके हैं,अकसर उम्मीदवारों के बारे में अधिक जानते भी नहीं हें। फिर भी वे नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति के चुनाव के मद्देनजर वे बहुत अहम लोग हैं।

इसके तहत अमरीका के वो वोटर आते हैं तो मतदान के लिए रजिस्टर्ड तो हैं,लेकिन हर बार वोट देने नहीं जाते हैं। इन्हें शक्की स्वभाव का माना जाता है। ये लोग सरकार से कम नाराज होते हैं। एक शोध केंद्र की ओर से किए गए रिसर्च में यह जानकारी सामने आई है कि अमरीका में कई लोग ऐसे हैं तो वोट देने के लिए रजिस्टर्ड नहीं हैं या वे कभी—कभार ही वोट का इस्तेमाल करने गए हों। ऐसे भी लोग कम पाए गए जो अपने आप को दोषी मानते हैं कि उन्हें वोट देने का अवसर नहीं मिला। रिसर्च करने वालों को इस तरह के वोटरों को समझने के लिए चार भागों में बांटा गया। जो उनके वोट देने का इतिहास, वोट देने पर उनका क्या नजरिया है और चल रहे अभियानों में उनकी रुचि जानने पर आधारित थे। रिसर्च करने वालों को देखना था कि राजनीतिक कार्यक्रमों में कितने वोटर रुचि लेते हैं और कितने केवल तमाशबीन हैं। 

नियमित रूप से वोट डालने वाले ऐसे लोग मिले जो कुछ समय पहले ही रजिस्टर्ड हुए थे। उन्होंने 2004 के चुनाव में भाग लिया था। उनका कहना था कि वे हमेशा वोट करते हैं और आने वाले चुनाव में भी अपने अधिकार का इस्तेमाल करेंगे। ऐसे 35 फीसदी लोग सामने आए। दूसरे, शक्की मिजाज के वोटर मिले। जो वोट देने के लिए रजिस्टर्ड तो हैं, मगर उनकी चुनाव अभियानों में कोई नहीं रूचि है। उनमें से कम लोग ही हर बार वोट डालने जाते हैं। ऐसे 20 फीसदी लोगों से बात हुई। तीसरी किस्म के 23 फीसदी लोग, जो रजिस्टर्ड हैं, पर कभी कभार वोट डालने जाते हैं। चौथी किस्म के 76 फीसदी उन लोगों से बात हुई जिनका कहना था कि वे अपने उम्मीदवारों के बारे में अधिक जानते ही नहीं। ये रजिस्टर्ड भी नहीं हैं।

रिसर्च करने वालों का मानना है कि शक्की स्वभाव के वोटर भी बड़े उपयोगी साबित होते हैं। वे चुनावी माहौल को ही बदल देते हैं। न सिर्फ किसी उम्मीदवार का पक्ष लेकर,बल्कि उनका व्यवहार भी अहम माना जाता है। शक्की स्वभाव के वोटरों के विचारों और जीवनस्तर का भी अध्ययन किया गया कि क्यों वे राजनीति गतिविधियों में भाग लेना कम पसंद करते हैं। दस मे से 6 ऐसे लोगों का कहना था कि कई बार अपने उम्मीदवार के बारे में ज्यादा कुछ जानते ही नहीं। वे राज​नीति को बिल्कुल पसंद नहीं करते हैं। वाशिंगटन में क्या चल रहा है,यह जानने में उनकी कोई रूचि नहीं होती।  वे अपने जीवन में ही बहुत व्यस्त रहते हैं। इन शक्की स्वभाव के वोटरों पर जल्दी विश्वास भी नहीं किया जा सकता। सर्वे के अनुसार सामान्य तौर पर ऐसे 40 फीसदी लोगों ने कहा कि ज्यादातर लोग इस प्रकृति के नहीं होते। यह सोच इन्हें एक खास समुदाय बनाने और राजनीतिक गतिविधियों के संपर्क में आने से रोकती है।

रिसर्च के मुताबिक जो लोग वोटर के रूप में रजिस्टर्ड नहीं होते हैं,वे समाज के अन्य लोगों से अलग ही रहते हैं। यहां तक कि वे अपने पड़ोस में कौन रहता है,यह भी नहीं जानते। उन लोगों ने अपना रजिस्ट्रेशन र्क्यों नहीं करवाया ? इस सवाल के जवाब में पांच में से एक व्यक्ति कहता है कि उसके पास इस काम के लिए समय ही नहीं है। सात में से एक कहेगा कि वे राजनीति की परवाह ही नहीं करते। जबकि कई सरकार के प्रति अपना विश्वास जताते हैं। 

कई देशों के बड़ी संख्या में लोगों की इच्छा होती है कि वे अमरीका में पढ़ाई, काम के सिलसिले में जाएं। इनमें से अधिकतर की योजना होती है कि वे वहीं बस जाएं। कई लोग अपने मकसद में कामयाब भी होते है और अमरीका की नागरिकता प्राप्त कर लेते हैं। राष्ट्रपति चुनाव के बारे मे होने वाले सर्वे में यदि इन नए नागरिकों को भी शामिल किया जाए तो अलग किस्म की प्रतिक्रिया ही मिलेगी। 

 
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