अजीबो गरीब परम्पराः सवा रुपए के लिए लगाई जाती है जान की बाजी

Sunday, Jun 10, 2018 - 11:37 AM (IST)

नैशनल डेस्कः  दुनिया में कई तरह की अजीबो गरीब परम्पराएं प्रचलन में हैं, जिन्हें देख या सुनकर विश्वास ही नहीं होता है। ऐसी ही एक परम्परा मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में प्राचीनकाल से चली आ रही है, जहां महज सवा रुपए के लिए जान जोखिम में डालने का एक आयोजन होता है। होली के तीसरे दिन आयोजित होने वाले इस खेल में प्रतिभागी नशे में चूर होकर 50 फुट ऊंचे खम्भे पर चढ़कर एक पोटली को तोड़ते हैं। इस खेल में कई लोग नीचे गिर कर हमेशा के लिए दिव्यांग हो चुके हैं लेकिन फिर भी न तो पुलिस और न ही ग्राम पंचायत को इस खेल में सुरक्षा के इंतजाम करने की कोई जरूरत महसूस होती है। 

क्या है ये खेल 
इस खतरनाक खेल को ‘जैरी’ कहते हैं। ‘जैरी’ का आयोजन बैतूल के रोढ़ा गांव में किया जाता है, जहां की ग्राम पंचायत खुद इसकी आयोजक बनती है। जैरी के दौरान शराब के नशे में धुत्त एक शख्स केवल दो रस्सियों और अपनी किस्मत के सहारे तेल तथा ग्रीस से लथपथ लगभग 50 फुट या इससे ऊंचे खम्भे के आखिरी छोर तक तक जाने की कोशिश करता है। जान हथेली पर लेकर अंतिम छोर पर पहुंचने वाले शख्स का लक्ष्य होता है कि खम्भे के छोर पर बंधी एक छोटी पोटली को उतारना, जिसमें सवा रुपए तथा एक नारियल होता है।  

जीतने पर दिया जाता है 21 या 11 रुपए का ईनाम
जीतने वाले को कभी 50 रुपए तो कभी केवल 21 या 11 रुपए का ईनाम दिया जाता है। इस खतरनाक खेल के लिए न तो प्रतिभागी का कोई बीमा होता है और न ही कोई उसकी जान की जिम्मेदारी लेता है। कई बार ऊंचाई से गिरने पर लोग दिव्यांग तक हो चुके हैं लेकिन फिर भी परम्परा के नाम पर बिना सुरक्षा के यह आयोजन हर साल किया जाता है। 

Isha

Advertising