इस हफ्ते प्रदूषण से हांफ सकते है दिल्ली-NCR, स्मॉग की मोटी परत का खतरा

Monday, Oct 19, 2020 - 09:48 AM (IST)

नेशनल डेस्कः कोरोना संकट के बीच राष्ट्रीय राजधानी की हवा भी खराब होती जा रही है क्योंकि पड़ोसी राज्यों में इस मौसम में एक दिन में पराली जलाने की सर्वाधिक 1230 घटनाएं दर्ज की गईं। दिल्ली के वातावरण में ‘पीएम 2.5' कणों में पराली जलाने की हिस्सेदारी 17 फीसदी है। मौसम पर नजर रखने वाली संस्था स्काईमेट के मुताबिक बुधवार और गुरुवार से हवाओं की गति और तापमान कम होने लगेगा और पराली जलाने के बढ़ते मामलों से हवा बेहद खराब से लेकर गंभीर तक हो सकती है। मौसम विज्ञान विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि दिन के वक्त उत्तर-पश्चिमी हवाएं चल रही हैं और पराली जलाने से पैदा होने वाले प्रदूषक तत्वों को अपने साथ ला रही है।

रात में हवा के स्थिर होने तथा तापमान घटने की वजह से प्रदूषक तत्व जमा हो जाते हैं। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की ‘वायु गुणवत्ता निगरानी एवं मौसम पूर्वानुमान तथा अनुसंधान प्रणाली' (सफर) के मुताबिक हरियाणा, पंजाब और नजदीकी सीमा पर स्थित क्षेत्रों में शनिवार को पराली जलाने की 1230 घटनाएं हुईं, जो इस मौसम में एक दिन में सर्वाधिक है। इसमें बताया गया कि ‘पीएम 2.5' प्रदूषक तत्वों में पराली जलाने की हिस्सेदारी शनिवार को करीब 17 फीसदी रही। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की वायु गुणवत्ता पूर्व चेतावनी प्रणाली ने कहा है कि वायु संचार सूचकांक 11,500 वर्गमीटर प्रति सेकेंड रहने की उम्मीद है जो प्रदूषक तत्वों के बिखरने के लिए अनुकूल है।

वायु संचार सूचकांक छह हजार से कम होने और औसत वायु गति दस किमी प्रतिघंटा से कम होने पर प्रदूषक तत्वों के बिखराव के लिए प्रतिकूल स्थिति होती है। प्रणाली की ओर से कहा गया कि राष्ट्रीय राजधानी की वायु गुणवत्ता पर पराली जलाने का प्रभाव सोमवार तक ‘‘काफी बढ़ सकता है।'' बता दें कि गैर बासमती धान की पराली चारे के रूप में बेकार मानी जाती है क्योंकि इसमें ‘‘सिलिका'' की अधिक मात्रा होती है और इसलिये किसान इसे जला देते हैं लेकिन इसका धुंआ प्रदूषण फैलाता है। पंजाब-हरियाणा में पराली जलाने का खामियाजा दिल्ली को भी भुगतना पड़ता है।

Seema Sharma

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