प्रदूषण फैलाने वालों पर सरकार सुस्त!

Wednesday, Nov 15, 2017 - 10:58 AM (IST)

नई दिल्ली,(ताहिर सिद्दीकी): राजधानी में कंस्ट्रक्शन साइटों से उडऩे वाली धूल और खुले में कूड़ा व पत्तियों को जलाने की प्रवृत्ति भी प्रदूषण के लिए कम जिम्मेदार नहीं है। लेकिन सरकारी एजेंसियां इस पर अंकुश लगाने में विफल रही हैं। एमसीडी सहित अन्य एजेंसियां कंस्ट्रक्शन साइटों और खुले में कूड़ा व पत्तियों को जलाने से होने वाले प्रदूषण पर कार्रवाई को लेकर ढुलमुल रवैया अपनाए हुए हैं। पर्यावरण मंत्री इमरान हुसैन की अध्यक्षता में संबंधित एजेंसियों की होने वाली बैठकों में कार्रवाई पर सख्त रवैया नहीं अपनाने को लेकर निरंतर नाराजगी जाहिर की जाती रही है। हाल यह है कि पिछले 8 महीने में खुले में कुड़ा व पत्तियों को जलाने के मामले में पूर्वी दिल्ली एमसीडी ने महज 278 और नॉर्थ एमसीडी ने 236 लोगों पर कार्रवाई करते हुए चालान काटे। साऊथ एमसीडी ने पिछले 8 महीने की कार्रवाई का डॉटा ही सरकार को उपलब्ध नहीं कराया। इतना ही नहीं ऐसी बैठकों में कई एजेंसियों के नोडल अफसर नदारद रहते हैं। जबकि कंस्ट्रक्शन साइटों से उडऩे वाली धूल भी राजधानी की आबोहवा में पीएम-10 व पीएम-2.5 के स्तर को खतरनाक बना रही है। 


चप्पे-चप्पे पर मिल जाएंगी मानकों का उल्लंघन करने वाली कंस्ट्रक्शन साइटें 
राजधानी के चप्पे-चप्पे पर मानकों का उल्लंघन करने वाली कंस्ट्रक्शन साइटें मिल जाएंगी लेकिन इस पर कार्रवाई करने वाली एजेंसियों को कुछ ही नजर आ पाती हैं। हाल यह है कि पिछले करीब ढाई वर्षों में डस्ट पॉल्यूशन के लिए जिम्मेदार कंस्ट्रक्शन साइटों पर कार्रवाई करते हुए नॉर्थ एमसीडी 1456 साइटों के चालान काट सकी। वहीं, साऊथ एमसीडी ने पर्यावरण विभाग को कार्रवाई का डॉटा ही उपलब्ध नहीं कराया। अलबत्ता इसी अवधि में ईस्ट एमसीडी ने इस पर तत्परता दिखाते हुए 6516 कंस्ट्रक्शन साइटों के चालान काटे। तमाम कोशिशों के बावजूद कूड़े व पत्तियों में आग लगाने की घटनाओं में कमी नहीं आ रही। बावजूद इसके आग लगाने की घटनाओं पर माकूल कार्रवाई नहीं हो पा रही। निरंतर चलती ऐसी गतिविधियों से राजधानी की आबोहवा खराब हो रही है। पिछले करीब ढाई वर्षों में ईस्ट एमसीडी ने खुले में कूड़े, टायर व पत्तियों आदि को जलाने की घटनाओं पर कार्रवाई करते हुए 891 चालान काटे। जबकि साऊथ एमसीडी ने 1212 और नॉर्थ एमसीडी ने महज 611 चालान काटे। 

एक्शन में नरमी आबोहवा पर पड़ रही भारी  
डस्ट पॉल्यूशन के लिए कुख्यात राजधानी की कंस्ट्रक्शन साइटों और खुले में आग लगाने की घटनाओं पर नकेल नहीं कसने से भी राजधानी की आबोहवा को स्वच्छ करने की योजना दम तोड़ती नजर आ रही। धूल से बनने वाले पीएम-10 व पीएम-2.5 जैसे प्रदूषक कण राजधानी की आबोहवा में अक्सर सामान्य से कई गुना अधिक होते हैं। एक्सपर्ट का मानना है कि अगर समय रहते एजेंसियों ने पुख्ता कार्रवाई करतीं तो पड़ोसी राज्यों में जलाई जा रही पराली का राजधानी में इतना घातक असर देखने को नहीं मिलता। ठोस कार्रवाई नहीं करने से पहले से बढ़े प्रदूषण को पराली और जानलेवा बना रही है।

पीडब्ल्यूडी की साइटों पर भी मानकों का उल्लंघन
आलम यह है कि लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) की परियोजनाओं की कंस्ट्रक्शन साइटों पर भी मानकों का उल्लंघन पाया गया है। खुद पीडब्ल्यूडी ने ऐसी साइटों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए 299 के चालान काटे। लेकिन दिल्ली छावनी बोर्ड ने पिछले ढाई वर्षों में मात्र 14 कंस्ट्रक्शन साइटों का निरीक्षण किया। इसी अवधि में डीडीए ने 74 साइटों का निरीक्षण किया लेकिन कार्रवाई एक पर भी नहीं हुई। वहीं, नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) ने भी कंस्ट्रक्शन साइटों से होने वाले डस्ट पॉल्यूशन और कूड़े व पत्तियों में आग लगाने वाली घटनाओं पर एक भी कार्रवाई नहीं की है।

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