नेशनल हेराल्ड केस पर गरमाई सियासत, कांग्रेस बोली– ईडी को सुझाव देने का अधिकार नहीं

punjabkesari.in Saturday, Jul 05, 2025 - 06:28 PM (IST)

National Desk : कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने शनिवार को बताया कि नेशनल हेराल्ड मामले में उन्होंने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के सामने अपनी दलीलें रखीं। कांग्रेस नेता ने कहा कि इस बार हमने ईडी से कहा कि संपत्तियां बेचकर कर्ज का भुगतान क्यों नहीं किया गया?  खेड़ा ने साफ किया कि ईडी को यह सुझाव देने का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि कांग्रेस ने ब्याज मुक्त कर्ज दिया था ताकि अखबार के जरिए विचारधारा का प्रचार-प्रसार किया जा सके, न कि कोई व्यावसायिक लेन-देन। उन्होंने बताया कि अखबार को पुनर्जीवित करने के लिए एक नॉन-प्रॉफिट कंपनी बनाई गई है और ईडी से मांग की गई है कि जो दस्तावेज जब्त किए गए हैं, उन्हें रिकॉर्ड में लाया जाए।

नेशनल हेराल्ड मामला वास्तव में अजीब- सोनिया गांधी
इससे पहले, कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने शुक्रवार को कहा था कि नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी की कार्रवाई ‘वास्तव में अजीब’ है। वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि यह मामला अनोखा है क्योंकि इसमें बिना किसी संपत्ति या लाभ के धनशोधन का आरोप लगाया गया है। उन्होंने बताया कि एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) की कोई भी संपत्ति या पैसा सीधे किसी कांग्रेस नेता को नहीं मिला। फिर भी, ईडी ने इस मामले को धनशोधन से जोड़ा है।

#WATCH | Delhi On National Herald case, Congress leader Pawan Khera says, "...We had raised a question that ED cannot question why we hadn't sold properties for loan repayment. We gave the loan interest-free as it was meeting the objectives of publishing a newspaper, and if they… pic.twitter.com/xTl5owk7It

— ANI (@ANI) July 5, 2025

नेताओं पर साजिश और धनशोधन का आरोप
ईडी ने सोनिया गांधी, राहुल गांधी, दिवंगत कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडीस, सुमन दुबे, सैम पित्रोदा और यंग इंडियन कंपनी पर आरोप लगाया है कि उन्होंने धोखाधड़ी के जरिए एजेएल की 2,000 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियां हासिल कीं। ईडी का दावा है कि गांधी परिवार के पास यंग इंडियन के 76 प्रतिशत शेयर थे, जिसने 90 करोड़ रुपये के कर्ज के बदले धोखाधड़ी से एजेएल की संपत्तियां हड़पीं। हालांकि, कांग्रेस की ओर से कहा गया है कि यह कदम एजेएल को कर्ज मुक्त करने के लिए उठाया गया था।

यंग इंडियन एक गैर-लाभकारी कंपनी
सिंघवी ने बताया कि यंग इंडियन एक गैर-लाभकारी कंपनी है, जो लाभांश, वेतन या बोनस देने के लिए सक्षम नहीं है। उन्होंने कहा कि यंग इंडियन ने केवल एजेएल के शेयरों में निवेश किया था और उसे संपत्तियों पर कोई अधिकार नहीं मिला। उन्होंने सवाल उठाया कि गांधी परिवार और यंग इंडियन को एजेएल का छद्म रूप कैसे माना जा सकता है।

एजेएल  को बनावटी रुप कैसे माना जा सकता है?
सिंघवी ने सवाल उठाया कि गांधी परिवार और यंग इंडियन को एजेएल का बनावटी रूप कैसे माना जा सकता है। उन्होंने कहा कि ईडी ने कई सालों तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की, बल्कि केवल एक निजी शिकायत के आधार पर जांच शुरू की। सिंघवी ने बताया कि ईडी ने सोनिया गांधी के खिलाफ ‘क्रूर कृत्य का आपराधिक संज्ञान’ लेने की मांग की है। उन्होंने यह भी कहा कि एजेएल के पुनर्गठन (2010) और प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) के पंजीकरण (2021) के बीच 11 साल का बड़ा फासला है, जो बेहद असामान्य है। इसके अलावा, निजी शिकायत (जो सुप्रमण्यम स्वामी ने दायर की थी) और ईसीआईआर के बीच भी आठ साल का अंतराल है।


 


 


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Content Editor

Shubham Anand

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