नीति आयोग की सिफारिश, जज की नियुक्ति के लिए भी हो परीक्षा

punjabkesari.in Thursday, Dec 20, 2018 - 06:53 PM (IST)

नई दिल्लीः नीति आयोग ने निचली न्यायपालिका में न्यायाधीशों के चयन के लिए राष्ट्र स्तरीय परीक्षा की वकालत करते हुए कहा कि यह युवा और उज्ज्वल विधि स्नातकों को आर्किषत करेगी और शासन प्रणाली में जवाबदेही बढाएगी। नीति आयोग ने बुधवार को ‘नये भारत’ के लिए एक राष्ट्रीय रणनीति पेश की जिसमें 2022-23 के लक्ष्य बताए गए।

यूपीएससी को दी जा सकती है जिम्मेदारी
इसमें कहा गया, ‘‘न्यायपालिका में उच्च मानक कायम रखने के लिए रैंकिंग पर आधारित अखिल भारतीय न्यायिक सेवा परीक्षा के आयोजन पर विचार किया जा सकता है। चयन प्रक्रिया की जिम्मेदारी केन्द्रीय लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को दी जा सकती है, इसके (परीक्षा) जरिए निचली न्यायपालिका के न्यायाधीशों, भारतीय विधि सेवा (केन्द्र और राज्य दोनों) अधिकारियों, अभियोजकों, विधि सलाहकारों और विधि रचनाकारों की नियुक्ति हो सकती है।’’

प्रशासनिक कैडर का शामिल होने की भी है सुझाव
रिपोर्ट में दावा किया गया कि इस कदम से युवा और उज्ज्वल विधि स्नातक आर्किषत होंगे और ऐसे नये अधिकारियों की नियुक्ति में मदद मिलेगी जिनसे ‘‘शासन प्रणाली में जवाबदेही बढाई जा सके।’’ रिपोर्ट में प्रक्रिया को सुचारू बनाने के लिए न्यायिक प्रणाली में प्रशासनिक कैडर को शामिल करने का सुझाव दिया गया। इसमें कहा गया, ‘‘न्यायिक स्वतंत्रता कायम रखने के लिए, कैडर हर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के प्रति जवाबदेह हों।’’

पहले भी आ चुका है प्रस्ताव
सरकार अतीत में राष्ट्र स्तरीय न्यायिक सेवा का प्रस्ताव रख चुकी है। लेकिन नौ उच्च न्यायालयों ने निचली न्यायपालिका के लिए अखिल भारतीय सेवा के प्रस्ताव का विरोध किया। आठ अन्य उच्च न्यायालयों ने प्रस्तावित ढांचे में बदलाव का अनुरोध किया जबकि केवल दो ने इस विचार का समर्थन किया। नरेंद्र मोदी सरकार देश की निचली न्यायपालिका के पृथक कैडर के लिए नई सेवा गठित करने के लंबे अरसे से अटके प्रस्ताव को फिर से आगे बढ़ाने की दिशा में प्रयासरत है। 


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Yaspal

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