अनंतनाग मुठभेड़ : SSP ने आतंकी को समझाया, सुनाईं कुरान की आयतें..फिर भी नहीं माना, मारा गया
Tuesday, Apr 03, 2018 - 11:10 AM (IST)
श्रीनगर : दक्षिण कश्मीर में अनंतनाग जिला के डायलगाम इलाके में गत रात सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में मारे गए युवा आतंकी राउफ खांडे को उसके माता-पिता और सुरक्षाकर्मियों ने समर्पण के लिए घंटों समझाया, लेकिन वह नहीं माना और अंत में मारा गया। मौके पर मौजूद अधिकारियों ने बताया कि राउफ को समर्पण करने के लिए घंटों समझाया गया, लेकिन वह नहीं माना। हाल ही में स्नातक प्रथम वर्ष उत्तीर्ण करने वाला राउफ गांव के एक घर में घेरे गए दो आतंकवादियों में शामिल था।
एक अधिकारी ने बताया कि उसके अंत की शुरुआत रात लगभग 11 बजे हुई जब पुलिस के वायरलेस बज उठे। वायरलेस पर सूचना मिली कि दो आतंकवादी एक घर में छिपे हैं। आतंकवादियों की पहचान सुनिश्चित करने के बाद सुरक्षाबलों ने घर की घेराबंदी कर दी और उनसे समर्पण करने को कहा। एक आतंकवादी जिसकी पहचान उजागर नहीं की गई है , ने तत्काल समर्पण कर दिया और वह राउफ को अंदर छोडक़र बाहर आ गया। अधिकारियों ने बताया कि राउफ से भी समर्पण के लिए कहा गया। उस तक एक फोन पहुंचाया गया जिससे कि बातचीत शुरू की जा सके। इसके बाद घंटों तक उससे बातचीत की कोशिश की गई। यहां तक कि वहां उसके माता-पिता को भी लाया गया जिससे कि वे उसे समझा सकें।
नहीं सुनी मां की पुकार
अनंतनाग के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अल्ताफ अहमद खान ने कहा कि मुझे विश्वास था कि माता-पिता उसे समझाने में सफल होंगे और वह बाहर आकर समर्पण कर देगा। लेकिन होनी को कुछ और मंजूर था। उन्होंने कहा कि मैंने वह हर चीज की जिससे कि वह समर्पण कर सके। लेकिन युवा लडक़े ने मेरे हर प्रयास को बेकार कर दिया जिसके मन में जहर भरा गया था। खान ने कहा कि मैंने उसे पवित्र कुरान की आयतों के बारे में बताया और उससे कहा कि वह जो कुछ कर रहा है, वह इस्लाम के खिलाफ है। बातचीत 30 मिनट से अधिक समय तक चली। इस दौरान वह गुस्सा हो उठा और गाली-गलौज करने लगा। लेकिन मैंने इसे नजरअंदाज किया क्योंकि मैं उसे मारे जाने से बचाना चाहता था।
मां से मिलने की जताई थी इच्छा
एक अधिकारी ने बताया कि बाहर मौजूद कमांडरों ने सारी बात सुनते हुए उस मकान पर अपनी नजरें टिकाए रखीं जहां राउफ छिपा हुआ था। रविवार की रात लगभग एक बजे राउफ ने कहा कि वह अपनी मां से बात करना चाहता है। इसकी उसे मंजूरी दे दी गई। खान ने कहा कि मैंने वहां से सात किलोमीटर दूर उसके पैतृक आवास पर एक पुलिस टीम भेजी। सुरक्षाकर्मी उसके पिता बाशीर अहमद खांडे और मां को लेकर आए जिससे कि वे उसे समर्पण के लिए राजी कर सकें। उन्होंने कहा कि हम उसकी जान इस हद तक बचाना चाहते थे कि हम सभी उसकी मां के इस आग्रह पर सहमत हो गए कि यदि वह समर्पण कर देता है तो वह उसे घर ले जाएगी। माता-पिता अपने बेटे से बात करने घर के अंदर चले गए, जिससे उम्मीद बढ़ गई कि कोई खून-खराबा नहीं होगा। आधा घंटे बाद वे बाहर आ गए। उनके चेहरे पर निराशा थी। खान ने कहा कि दिल की धडक़न बढ़ गई। मैं सिहर उठा क्योंकि अब हमें अपना अंतिम काम करना था।
सुरक्षाबलों ने आतंकी की मां से मांगी माफी
घटनास्थल पर मौजूद एक कमांडर ने उसके माता-पिता से माफी मांगी जो अपने बेटे की होनी के बारे में जानते थे। खान ने कहा कि मैंने माता-पिता को अपने यहां भेज दिया क्योंकि वे घबराए हुए थे, खासकर मां। उन्होंने रुंधे गले से कहा कि मैंने पूरे प्रयास किए, लेकिन सब विफल रहे।