12 दिन की बातचीत फेल होने के बाद उठा PNB घोटाले से पर्दा

Sunday, Feb 25, 2018 - 01:28 PM (IST)

नेशनल डेस्कः मामा-भांजे (नीरव मोदी और मेहुल चोकसी) का हीरों का व्यापार इस वर्ष 16 जनवरी को उस समय तबाह हो गया जब नीरव मोदी की कम्पनी का एक अधिकारी पंजाब नैशनल बैंक की मुम्बई स्थित ब्रैडी ब्रांच में लैटर ऑफ अंडरस्टैंडिंग (एल.ओ.यू.) को क्लीयर करवाने के लिए गया। वहां उपस्थित डिप्टी मैनेजर ने संयुक्त सिक्योरिटी के बिना उक्त एल.ओ.यू. को क्लीयर करने से मना कर दिया जिसके बाद उसकी असलियत सामने आ गई। जब नीरव की कम्पनी के अधिकारी ने एल.ओ.यू. को क्लीयर करने का दबाव डाला तो डिप्टी मैनेजर को शक हुआ और उन्होंने उच्चाधिकारियों को अलर्ट किया।

कुछ ही समय में हर तरफ शोर मच गया तथा मैनेजमैंट ने नीरव मोदी से संपर्क किया जो उस समय न्यूयार्क में छुट्टियां मना रहा था इसलिए नीरव के सी.एफ.ओ. अंबानी ने पी.एन.बी. मैनेजमैंट से बात की। उसने कहा था कि बैंक कापैसा पूरी तरह सुरक्षित है  और उसे व्यापारिक शर्तों के मुताबिक वापस किया जाएगा। पी.एन.बी.  मैनेजमैंट ने इस संबंध में 12 दिन तक बातचीत की तथा चोकसी और नीरव मोदी को संयुक्त तथा मैचिंग सिक्योरिटी का प्रबंध करने को कहा। आखिरकार पी.एन.बी. के मैनेजिंग डायरैक्टर सुनील मेहता ने वित्त मंत्रालय में बैंकिंग सचिव से बातचीत की।

बैंकिंग सचिव ने मामला वित्त सचिव हसमुख अधिया के ध्यान में लाया। हसमुख ने सारी जानकारी वित्त मंत्री को दी। यह भी पता लगा है कि हसमुख ने प्रधानमंत्री दफ्तर में सारी जानकारी दी। जेतली ने अलग से नरेंद्र मोदी को इस संबंधी जानकारी दी। आखिरकार पंजाब नैशनल बैंक ने 28 जनवरी को सी.बी.आई. के पास शिकायत दर्ज करवाने का फैसला किया। यह शिकायत 280 करोड़ रुपए के घोटाले से संबंधित थी। सी.बी.आई. ने 31 जनवरी को मामला दर्ज किया। दूसरी शिकायत 11,400 करोड़ रुपए की थी जो 13 फरवरी को दर्ज करवाई गई।  पहली एफ.आई.आर. जो 280 करोड़ रुपए की थी वह 16 जनवरी से 12 दिन बाद 28 जनवरी को दर्ज की गई।

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