डिब्बाबंद उद्योग के समर्थन में PMO, आर.एस.एस. की संस्था मायूस

Sunday, Nov 12, 2017 - 08:26 AM (IST)

नेशनल डेस्कः प्रधानमंत्री कार्यालय (पी.एम.ओ.) ने केन्द्रीय स्वास्थ्य और महिला व बाल विकास मंत्रालय की इस दलील को रद्द कर दिया है कि बच्चों को केवल पका हुआ खाना ही दिया जाए। इसके बाद डिब्बाबंद भोजन उद्योग खुश है। नैस्ले और अन्य बड़ी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के अलावा आई.टी.सी. और रामदेव की पतंजलि जैसे घरेलू प्रमुख ब्रांड भी पी.एम.ओ. के इस फैसले से लाभान्वित होंगे। पी.एम.ओ. ने राज्यों का साथ दिया है जो इस बात पर अडिग है कि बच्चों को डिब्बाबंद भोजन दिया जाए। केन्द्रीय मंत्रालयों और राज्यों के बीच यह लड़ाई है कि बच्चों को कैसा भोजन दिया जाए।

राज्यों के साथ लंबी चर्चा के बाद विश्लेषक समिति की रिपोर्ट और संबद्ध मंत्रालयों के विचारों को प्राप्त करने के बाद पी.एम.ओ. ने फैसला किया है कि राज्यों को इस संबंधी अपनी नीति का फैसला करने की अनुमति दी जाए। अगर राज्य सरकारें डिब्बा बंद भोजन देना चाहती हैं तो वे ऐसा करें। पी.एम.ओ. ने स्पष्ट रूप से कहा कि एकीकृत बाल विकास सेवा (आई.सी.डी.एस.) तहत 3 से 6 वर्ष के बच्चों को पका हुआ भोजन दिया जाता है, यह स्कीम जारी रहेगी।

अगर राज्य सरकारें 6 वर्ष के ऊपर के बच्चों को तैयार भोजन देने का फैसला करती हैं तो यह उनका अपना  निर्णय होगा। यह योजना पूरी तरह केन्द्र प्रायोजित है, जहां 50 प्रतिशत फंड राज्यों को देना पड़ता है। मगर आर.एस.एस. से संबंधित स्वदेशी जागरण मंच (एस.जे.एम.) ने कहा कि वह बच्चों को डिब्बाबंद भोजन उपलब्ध करवाने के खिलाफ है। एस.जे.एम. ने कहा कि ये नीतियां लाबी ग्रुप पर आधारित नहीं होनी चाहिएं। हम ऐसा नहीं होने देंगे, मगर एस.जे.एम. की कौन परवाह करता है। आर.एस.एस. से संबंधित संस्था एस.जे.एम. मायूसहै।

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