मिशन गुजरात को लेकर पाटीदारों ने और बढ़ाई PM मोदी की टेंशन

Wednesday, Oct 11, 2017 - 08:45 PM (IST)

नई दिल्लीः गुजरात विधानसभा चुनावों को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी की टेंशन कम होने की जगह बढ़ती दिखाई दे रही हैं। पहले राज्य में बिगड़ते राजनीतिक समीकरण और अब पाटीदारों की नाराजगी का कम न होना पीएम मोदी के साथ भाजपा के रणनीतिकारों बेरीकेटिंग काम कर रही है। जबकि गुजरात की सियासत में पाटीदारों के कद की बात करें तो एेसा वर्ग है जो हमेशा किंग मेकर की भूमिका में रहता है। जो किसी भी पार्टी का राजनीतिक खेल बनाने और बिगाड़ने की खासी कुवत रखते हैं लेकिन मौजूदा हालात में ये पाटीदार इस दफा भाजपा के लिए मुसीबत का सबब बनते दिखाई दे रहे हैं। 
प्रदेश की राजनीति में पटेलों का खास रसूख
गुजरात के लगभग 4200 उद्योगों में से 1700 उद्योग पाटीदारों के अधीन है। गुजरात की 1.50 करोड़ पाटीदार जनसंख्या में से आधे पाटीदार करोड़पति है। इसके वर्तमान बीजेपी सरकार में भी 40 विधायक और 7 मंत्री इसी समुदाय से आते हैं लेकिन राज्य में पिछले दशकों में 60 हजार उद्योग बंद हो गए और उसका इंपेक्‍ट पटेल समुदाय पर ज्‍यादा हुआ। इसी तरह दक्षिण गुजरात में डायमंड इंडस्‍ट्री का डिक्‍लाइन हुआ और उसका भी प्रभाव इन पर हुआ। इसी वजह है कि ये लोग जो आरक्षण मांग रहे हैं।
मोदी के गुजरात छोड़ने पर पकड़ हुई कमजोर
गुजरात की कुल आबादी करीब 6 करोड़ 27 लाख है और इसमें पटेल समुदाय की भागेदारी करीब 20 फीसदी है। मौजूदा गुजरात सरकार के 120 विधायकों में से करीब 40 विधायक, 7 मंत्री और 6 सांसद पटेल समुदाय से हैं। 2014 में नरेंद्र मोदी के गुजरात के सीएम से देश का पीएम बन जाने के बाद से पाटीदारों पर बीजेपी की पकड़ कमजोर हुई है।
1995 के बाद से भाजपा के परंपरागत वोट बैंक 
पटेल समुदाय एक दौर में कांग्रेस के पक्के समर्थक थे लेकिन 1980 के दशक में कांग्रेस ने आरक्षण के समीकरणों और इंदिरा के ‘गरीबी हटाओ’ नारे को देखते हुए अपना ध्यान क्षत्रिय, हरिजन, आदिवासी व मुस्लिम की तरफ कर दिया। इससे नाराज पटेल भाजपा के खाते में छिटक गए। साल 1995 में केशुभाई पटेल ने इन्हें भाजपा के और ज्यादा करीब लाकर खड़ा कर दिया। 
आरक्षण आंदलोन ने बढ़ी भाजपा से दूरियां
पाटीदार समुदाय बीजेपी का परंपरागत मतदाता माने जाते हैं। जबकि अगस्त 2015 में हार्दिक पटेल के नेतृत्व में हुए आरक्षण आंदोलन से पाटीदार समुदाय बीजेपी से नाराज माने जा रहे हैं। पाटीदार समुदाय की नाराजगी को दूर करने के लिए भाजपा हरसंभव कोशिश में जुटी है लेकिन 26 महीने के बाद भी पटेल समुदाय का गुस्सा कम होता दिखाई नहीं दे रहा है। इसमें पाटीदार आंदोलन के अगुआ हार्दिक भी भरकस प्रयास में लगे हैं कि इस पटेलों का समर्थन भाजपा को न मिले। इसके चलते पिछले दिनों उन्होंने पिछले दिनों तो उन्होंने संकल्प यात्रा भी निकाली थी। 
काम आती नहीं दिख रही सरकार की घोषणाएं  
विजय रुपाणी के नेतृत्व वाली गुजरात की भाजपा सरकार ने पटेल को साधने के लिए तमाम घोषणाएं कर रखी है। इसमें अनारक्षित केटेगरी में आने वाले समुदायों के लिए आयोग के गठन के साथ, पाटीदार युवाओं के खिलाफ पुलिस मामलों को वापस लेने और आंदोलन में मारे गए लोगों के परिवारों को नौकरी और मुआवजा देना शामिल है। इसी क्रम में भाजपा ने सरदार पटेल के गांव करमसद से 'मिशन गुजरात' का आगाज किया लेकिन पाटीदार समुदाय ने कई जगहों पर गौरव यात्रा का विरोध किया। मंगलवार को तो गौरव यात्रा में कुर्सियां फेंकीं और जमकर विरोध किया।

 
 

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