''मन की बात'' में PM मोदी ने किया मुंशी प्रेमचंद का जिक्र, बोले- उनकी कहानियां जीवन का यथार्थ थीं

Sunday, Jun 30, 2019 - 03:39 PM (IST)

नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने मन की बात कार्यक्रम में हिन्दी के अमर कथाकार मुंशी प्रेमचन्द का उल्लेख करते हुए लोगों से अपने दैनिक जीवन में किताबें पढ़ने की आदत डालने का आह्वान किया। मोदी ने इस कार्यक्रम में प्रेमचन्द की तीन मशहूर कहानियों ईदगाह, नशा और पूस की रात का जिक्र किया और उन कहानियों में व्यक्त संवेदना की भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि लोग दैनिक जीवन में किताबें पढ़कर उनमें से जो अच्छा लेगे उसे नरेंद्र मोदी एप्प पर भी लिखें ताकि मन की बात के शेयर श्रोता उसके बारे में जानें। प्रधानमंत्री ने कहा कि आपने कई बार मेरे मुंह से सुना होगा, ‘बूके नहीं बुक', मेरा आग्रह था कि क्या हम स्वागत-सत्कार में फूलों के बजाए किताबें दे सकते हैं।

तब से काफ़ी जगह लोग किताबें देने लगे हैं। मुझे हाल ही में किसी ने ‘प्रेमचंद की लोकप्रिय कहानियां' नाम की पुस्तक दी। मुझे बहुत अच्छा लगा। हालांकि, बहुत समय तो नहीं मिल पाया, लेकिन प्रवास के दौरान मुझे उनकी कुछ कहानियों को फिर से पढ़ने का मौका मिल गया। प्रेमचंद ने अपनी कहानियों में समाज का जो यथार्थ चित्रण किया है, पढ़ते समय उसकी छवि आपके मन में बनने लगती है। उनकी लिखी एक-एक बात जीवंत हो उठती है। सहज, सरल भाषा में मानवीय संवेदनाओं को अभिव्यक्त करने वाली उनकी कहानियां मेरे मन को भी छू गईं। उनकी कहानियों में समूचे भारत का मनोभाव समाहित है।''

उन्होंने कहा ,‘जब मैं उनकी लिखी ‘नशा' नाम की कहानी पढ़ रहा था, तो मेरा मन अपने-आप ही समाज में व्याप्त आर्थिक विषमताओं पर चला गया। मुझे अपनी युवावस्था के दिन याद आ गए कि कैसे इस विषय पर रात-रात भर बहस होती थी। जमींदार के बेटे ईश्वरी और ग़रीब परिवार के बीर की इस कहानी से सीख मिलती है कि अगर आप सावधान नहीं हैं तो बुरी संगति का असर कब चढ़ जाता है, पता ही नहीं लगता है।

दूसरी कहानी, जिसने मेरे दिल को अंदर तक छू लिया, वह थी ‘ईदगाह', एक बालक की संवेदनशीलता, उसका अपनी दादी के लिए विशुद्ध प्रेम, उतनी छोटी उम्र में इतना परिपक्व भाव। चार-पांच साल का हामिद जब मेले से चिमटा लेकर अपनी दादी के पास पहुँचता है तो सच मायने में, मानवीय संवेदना अपने चरम पर पहुंच जाती है। इस कहानी की आखिरी पंक्ति बहुत ही भावुक करने वाली है क्योंकि उसमें जीवन की एक बहुत बड़ी सच्चाई है, ‘‘बच्चे हामिद ने बूढ़े हामिद का पार्ट खेला था- बुढ़िया अमीना, बालिका अमीना बन गई थी।''


मोदी ने प्रेमचन्द की एक और कहानी का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘ऐसी ही एक बड़ी मार्मिक कहानी है ‘पूस की रात'। इस कहानी में एक ग़रीब किसान जीवन की विडंबना का सजीव चित्रण देखने को मिला। अपनी फसल नष्ट होने के बाद भी हल्दू किसान इसलिए खुश होता है क्योंकि अब उसे कड़ाके की ठंड में खेत में नहीं सोना पड़ेगा। हालांकि ये कहानियां लगभग सदी भर पहले की हैं लेकिन इनकी प्रासंगिकता, आज भी उतनी ही महसूस होती है। इन्हें पढ़ने के बाद, मुझे एक अलग प्रकार की अनुभूति हुई। उन्होंने कहा कि जब पढ़ने की बात हो रही है, तो मीडिया में मैंने केरल की अक्षरा लाइब्ररी के बारे में पढ़ रहा था।

आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि ये लाइब्रेरी इडुक्की के घने जंगलों के बीच बसे एक गांव में है। यहां के प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक पीके मुरलीधरन और छोटी-सी चाय की दुकान चलाने वाले पी.वी. चिन्नाथम्पी, इन दोनों ने, इस लाइब्रेरी के लिए अथक परिश्रम किया है। एक समय ऐसा भी रहा, जब गट्ठर में भरकर और पीठ पर लादकर यहां पुस्तकें लाई गई। आज ये लाइब्ररी, आदिवासी बच्चों के साथ हर किसी को एक नई राह दिखा रही है। उन्होंने कहा गुजरात में ‘वांचे गुजरात' अभियान एक सफल प्रयोग रहा। लाखों की संख्या में हर आयु वर्ग के व्यक्ति ने पुस्तकें पढ़ने के इस अभियान में हिस्सा लिया था। आज की डिजिटल दुनिया में, गूगल गुरु के समय में, मैं आपसे भी आग्रह करूंगा कि कुछ समय निकालकर अपने दिनचर्या में किताब को भी जरुर स्थान दें। आप सचमुच में बहुत आनंद महसूस करेंगे और जो भी पुस्तक पढ़े उसके बारे में नरेंद्र मोदी एप पर जरुर लिखें।

Seema Sharma

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