युवाओं से बोले पीएम मोदी- भारत को बढ़ते हुए देखना चाहती है दुनिया

Wednesday, Oct 24, 2018 - 06:26 PM (IST)

नेशनल डेस्क: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को कहा कि दुनिया अब हिन्दुस्तान को इंतजार करते हुए नहीं देखना चाहती बल्कि अपेक्षा करती है कि वह दुनिया का नेतृत्व करे और देश को दुनिया की अपेक्षाओं पर खरा उतरना होगा। प्रधानमंत्री ने ‘सेल्फ फॉर सोसाइटी’ मंच के जरिये आईटी पेशेवरों एवं विनिर्माण क्षेत्र से जुड़े लोगों को टाउनहॉल संबोधन में कहा कि रामायण में इस बात का उल्लेख है कि किस प्रकार एक गिलहरी ने रामसेतु के निर्माण में योगदान दिया था। इसका दूसरा पक्ष यह भी है कि भगवान को भी एक गिलहरी के योगदान की जरूरत पड़ी ।
 

लोगों की भागीदारी आवश्यक 
पीएम ने कहा कि ऐसे में हम कितनी ही पहल करे, कितनी ही योजनाएं बनाए, बजट दे लेकिन किसी भी पहल की सफलता लोगों की भागीदारी में निहित है। दुनिया भी अब हिन्दुस्तान को इंतजार करते हुए नहीं देखना चाहती, हिन्दुस्तान दुनिया को लीड करे इस अपेक्षा के साथ देख रही है।  प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वच्छ भारत अभियान के प्रतीक से जुड़ा चश्मा भी महात्मा गांधी का है और इसकी दृष्टि भी गांधी की ही है।      

स्वच्छता गांधी की सोच
मोदी ने कहा कि महात्मा गांधी ने वर्षो तक अपने आप को देश की आजादी के लिये खपा दिया । उन्होंने अपने नेतृत्व से देश के लिये स्वतंत्रता तो प्राप्त की लेकिन स्वच्छता हासिल नहीं हो पाई ।   हम सभी इसके लिये जिम्मेदार हैं। ऐसे में वह एक बार फिर जोर देना चाहते हैं कि स्वच्छता गांधी की सोच है। उन्होंने कहा कि गांव में महिलाओं को जब खुले में शौच के लिये जाना पड़ता है तो उन्हें बहुत पीड़ा होती है। मोदी ने कहा कि आज 25 से 40 वर्ष के बीच की जो पीढ़ी है, उसमें सहज भाव से काम करने की प्रेरणा है। इसमें सामुहिकता का भाव जुड़ जाए तो ताकत बनकर उभरती है। इसे एक मिशन से जोड़ लें तो परिवर्तन आना शुरू हो जाता है ।  


भारत की तकदीर तकनीक में 
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की तकदीर तकनीक में है और जो प्रौद्योगिकी युवाओं के पास है, वह भारत की तकदीर से जुड़ा है। उन्होंने ‘मैं नहीं हम’ पोर्टल के संदर्भ में कहा कि इसका अर्थ यह नहीं है कि ‘मैं’ को खत्म कर रहे हैं बल्कि ‘मैं’ का विस्तार है। उन्होंने कहा कि वह देखते हैं कि भारत युवा प्रौद्योगिकी का शानदार ढंग से उपयोग कर रहा है और वह इसका न केवल अपने लिये कर रहे हैं बल्कि दूसरों के लिये भी कर रहे हैं। मैं इसे शानदार संकेत के रूप में देखता हूं । आज अधिक लोग कर चुका रहे हैं क्योंकि उन्हें विश्वास है कि उनके पैसे का उपयोग ठीक से और लोगों के कल्याण के लिए किया जा रहा है । 

vasudha

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