SCO समिट में बोले पीएम मोदी- तालिबान से विश्व में आतंकवाद बढ़ने का खतरा

Friday, Sep 17, 2021 - 06:20 PM (IST)

नेशनल डेस्कः भारत ने अफगानिस्तान में तालिबान के शासन को थोपा गया शासन करार दिया है और इससे विश्व में आतंकवाद, कट्टरता एवं अस्थिरता का खतरा तथा उनके देश में आर्थिक संकट बढ़ने की आशंका जताते हुए शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के देशों को अफगान की निर्दोष जनता को मानवीय सहायता मुहैया कराने का आह्वान किया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ताजिकिस्तान की राजधानी दुशान्बे में हाइब्रिड मॉड में आयोजित एससीओ के 21वें शिखर सम्मेलन के अंतर्गत शाम को अफगानिस्तान पर शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) सीएसटीओ आउटरीच समिट को भी वीडियो लिंक के माध्यम से संबोधित किया। विदेश मंत्री एस जयशंकर इस मौके पर दुशान्बे में मौजूद थे।

मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि अफ़ग़ानिस्तान में हाल के घटनाक्रम का सबसे अधिक प्रभाव भारत जैसे पड़ोसी देशों पर होगा। और इसलिए इस मुद्दे पर क्षेत्रीय फोकस और सहयोग आवश्यक है। उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में हमें चार विषयों पर ध्यान देना होगा। पहला मुद्दा यह है कि अफगानिस्तान में सत्ता-परिवर्तन, समावेशी नहीं है और यह बिना किसी सम्मति या समझौते के हुआ है। दूसरा विषय है कि अगर अफ़ग़ानिस्तान में अस्थिरता और कट्टरवाद बना रहेगा, तो इससे पूरे विश्व में आतंकवादी और उग्रवादी विचारधाराओं को बढ़ावा मिलेगा। अन्य उग्रवादी समूहों को हिंसा के माध्यम से सत्ता पाने का प्रोत्साहन भी मिल सकता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान के घटनाक्रम से जुड़ा तीसरा विषय यह है कि, इससे नशीले पदार्थों, अवैध हथियारों और मानव तस्करी का अनियंत्रित प्रवाह बढ़ सकता है। बड़ी मात्रा में उन्नत हथियार अफगानिस्तान में रह गए हैं। इनके कारण पूरे क्षेत्र में अस्थिरता का खतरा बना रहेगा। चौथा विषय अफ़ग़ानिस्तान में गंभीर मानवीय संकट का है। वित्तीय लेनदेन और कारोबार में रूकावट के कारण अफ़ग़ान जनता की आर्थिक विवशता बढ़ती जा रही है। साथ में कोविड की चुनौती भी उनके लिए यातना का कारण है।

पीएम मोदी ने कहा कि विकास और मानवीय सहायता के लिए भारत बहुत वर्षों से अफ़ग़ानिस्तान का विश्वस्त साझीदार रहा है। अवसंरचना से ले कर शिक्षा, सेहत और क्षमता निर्माण तक हर क्षेत्र में, और अफ़ग़ानिस्तान के हर भाग में, भारत ने अपना योगदान दिया है। उन्होंने कहा, ‘‘आज भी हम अपने अफ़ग़ान मित्रों तक खाद्य सामग्री, दवाइयां आदि पहुंचाने के लिए इच्छुक हैं। हम सभी को मिल कर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अफ़ग़ानिस्तान तक मानवीय सहायता निर्बाध तरीके से पहुंच सके।'' 

Yaspal

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