मंदसौर हिंसा और किसानों के मुद्दे पर पीएम मोदी ने की मंत्रियों संग मीटिंग

Wednesday, Jun 07, 2017 - 02:53 PM (IST)

नई दिल्ली/भोपालः मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले में किसानों के उग्र आंदोलन में मंगलवार को छह लोगों की मौत के बाद लगाए गए कर्फ्यू के बावजूद भी आज जिले के कई हिस्सों में प्रदर्शनकारियों ने उग्र प्रदर्शन किया। जिले के मल्हारगढ़ में उग्र आंदोलनकारियों ने पटरियों को क्षतिग्रस्त कर दिया, जिससे नीमच-मंदसौर से लेकर राजस्थान के चित्तौडग़ढ के बीच का रेल यातायात प्रभावित होने की खबर है। मंगलवार को पिपल्यामंडी में किसानों के उग्र आंदोलन और पुलिस-प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प के बाद हुई कथित तौर पर पुलिस की गोलीबारी में छह किसानों की मौत हो गई थी।

पीएम मोदी ने बुलाई बैठक
किसान आंदोलन के दौरान हुई पुलिस फायरिंग और मुद्दों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वरिष्ठ मंत्रियों के साथ मीटिंग की। सूत्रों के अनुसार देश के कई हिस्सों में किसानों का प्रदर्शन और मंदसौर में हुई फायरिंग पर इसमें चर्चा हुई। राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, कृषि मंत्री राधामोहन सिंह समेत कई वरिष्ठ मंत्री इस बैठक में शामिल हुए।

कांग्रेस ने मांगा शिवराज का इस्तीफा
किसानों पर पुलिस फायरिंग के मामले को लेकर कांग्रेस ने भाजपा सरकार पर जमकर हमला बोला। कांग्रेस नेता कमलनाथ ने बताया कि पैसों की बोली लगाई जा रही है ये शर्मनाक है। कमलनाथ ने कहा कि शिवराज को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना चाहिए। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी मंदसौर में किसानों के बीच जाकर उनका दुख बांटना चाहते थे लेकिन उन्हें अनुमति नहीं दी गई।

1 जून से हो रहा आंदोलन
अपनी फसलों के लिए सही दाम सहित 20 सूत्री मांगों को लेकर राज्य में पिछले 1 जून से किसान आंदोलन कर रहे थे। इसी दौरान मंदसौर में मंगलवार को विरोध प्रदर्शन ने उग्र रूप ले लिया और यहां हुई गोलीबारी में 6 किसानों की मौत हो गई। चश्मदीदों ने पुलिस पर फायरिंग का आरोप लगाया है, हालांकि जिला प्रशासन ने किसानों के उग्र होने के बावजूद उन पर पुलिस फायरिंग से इनकार किया है।

इसलिए किसान कर रहे आंदोलन
मध्य प्रदेश के किसान नेताओं का कहना है कि किसानों को उनके उत्पाद का वाजिब दाम नहीं मिल रहा है जितना पैसा वे अपनी फसल उगाने में लगा रहे हैं, उतना उन्हें उसे बेचने में नहीं मिल रहा है। इससे किसान की हालत बहुत खराब हो गई है और वे कर्ज के तले दबे हुए हैं। मध्यप्रदेश सरकार ने गेहूं को न्यूनतम समर्थन मूल्य 1625 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया है लेकिन सरकार किसानों के गेहूं को इस कीमत पर नहीं खरीद रही है, जिसके कारण उन्हें अपने उत्पाद को 1200 रुपए से 1300 रुपए प्रति क्विंटल मजबूरी में बाजार में बेचना पड़ रहा है। इससे ज्यादा कीमत पर कोई भी किसान से गेहूं खरीदने को तैयार नहीं है। प्याज एवं संतरे तो बहुत ही कम दाम मिलने के कारण किसानों को फेंकने पड़ रहे हैं।

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