'घर चलाने के लिए मां दूसरों के घरों में बर्तन भी मांजा करती थीं' मां हीराबेन के 100वें जन्मदिन पर पीएम मोदी हुए भावुक
Saturday, Jun 18, 2022 - 09:51 AM (IST)
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज मां हीराबेन मोदी का 100वां जन्मदिन मनाया। हीराबा गुजरात के गांधीनगर के बाहर इलाके में रायसण गांव में मोदी के छोटे भाई पंकज के साथ रहती हैं, जहां पहुंच कर पीएम मोदी ने मां के पैर धो कर आशिर्वाद लिया और उन्हें मिठाई खिलाई।
100वें जन्मदिन के मौके पर पीएम मोदी ने मां के लिए अपनी आधिकारिक वेबसाइट www.narendramodi.in पर 'मां' शीर्षक से एक ब्लॉग भी लिखा है। इसमें पीएम मोदी ने अपने जीवन में मां के महत्व को समझाया है।
मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘मां... यह सिर्फ एक शब्द नहीं है, यह जीवन की वह भावना है, जिसमें स्नेह, धैर्य, विश्वास, कितना कुछ समाया हुआ है। मेरी मां हीराबा आज 18 जून को अपने जीवन के सौवें वर्ष में प्रवेश कर रही हैं, उनका जन्म शताब्दी वर्ष प्रारंभ हो रहा है। इस विशेष दिन पर मैं अपनी खुशी और सौभाग्य साझा कर रहा हूं।’’
Maa…this isn’t a mere word but it captures a range of emotions. Today, 18th June is the day my Mother Heeraba enters her 100th year. On this special day, I have penned a few thoughts expressing joy and gratitude. https://t.co/KnhBmUp2se
— Narendra Modi (@narendramodi) June 18, 2022
पिताजी आज होते, तो पिछले सप्ताह वो भी 100 वर्ष के हो गए होते। यानि 2022 एक ऐसा वर्ष है जब मेरी मां का जन्मशताब्दी वर्ष प्रारंभ हो रहा है और इसी साल मेरे पिताजी का जन्मशताब्दी वर्ष पूर्ण हुआ है।
पिछले ही हफ्ते मेरे भतीजे ने गांधीनगर से मां के कुछ वीडियो भेजे हैं। घर पर सोसायटी के कुछ नौजवान लड़के आए हैं, पिताजी की तस्वीर कुर्सी पर रखी है, भजन कीर्तन चल रहा है और मां मगन होकर भजन गा रही हैं, मंजीरा बजा रही हैं। मां आज भी वैसी ही हैं। शरीर की ऊर्जा भले कम हो गई है लेकिन मन की ऊर्जा यथावत है। पीएम मोदी ने बताया कि वैसे हमारे यहां जन्मदिन मनाने की कोई परंपरा नहीं रही है। लेकिन परिवार में जो नई पीढ़ी के बच्चे हैं उन्होंने पिताजी के जन्मशती वर्ष में इस बार 100 पेड़ लगाए हैं।
मेरी मां जितनी सामान्य हैं, जैसे हर मां होती है।
PM मोदी ने ब्लॉग में लिखा, मेरी मां जितनी सामान्य हैं, उतनी ही असाधारण भी। ठीक वैसे ही, जैसे हर मां होती है। प्रधानमंत्री का यह ब्लॉग हिंदी और अंग्रेजी के अलावा कई क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध है। मोदी ने इस बात का जिक्र किया कि अब तक दो बार ही ऐसा हुआ है, जब उनकी मां किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में उनके साथ रही हैं।
उन्होंने कहा, एक बार मैं जब एकता यात्रा के बाद श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा फहराकर लौटा था तो अहमदाबाद में हुए नागरिक सम्मान कार्यक्रम में मां ने मंच पर आकर मेरा टीका किया था। मोदी ने कहा, दूसरी बार वह सार्वजनिक तौर पर मेरे साथ तब आई थीं, जब मैंने मुख्यमंत्री के रूप में पहली बार शपथ ली थी। प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी मां ने उन्हें जीवन की एक सीख दी कि औपचारिक शिक्षा ग्रहण किए बिना भी सीखना संभव है।
मेरी मां को अपनी मां का प्यार नसीब नहीं हुआ
वहीं मां के संघर्षों को याद करते हुए पीएम मोदी ने ब्लाॅग में लिखा कि जिम्मेदारियों ने मेरी मां को उम्र से बहुत पहले बड़ा कर दिया था क्योंकि मेरी मां को अपनी मां यानी मेरी नानी का प्यार नसीब नहीं हुआ था, मां तब कुछ ही दिनों की रही होंगी, जब नानी का देहांत हो गया उन्हें मेरी नानी का चेहरा, उनकी गोद कुछ भी याद नहीं है, आप सोचिए, मेरी मां का बचपन मां के बिना ही बीता, वो अपनी मां से जिद नहीं कर पाईं, उनके आंचल में सिर नहीं छिपा पाईं. मां को अक्षर ज्ञान भी नसीब नहीं हुआ।
शादी से पहले भी और शादी के बाद भी वो अपने परिवार में सबसे बड़ी थीं और जब शादी हुई तो भी सबसे बड़ी बहू बनीं। बचपन में जिस तरह वो अपने घर में सभी की चिंता करती थीं, वैसे ही जिम्मेदारियां उन्हें ससुराल में उठानी पड़ीं।
घर चलाने के लिए 2-4 पैसे ज्यादा कमाने के लिए मां दूसरों के घर के बर्तन भी मांजा करती थीं
वडनगर के जिस घर में हम लोग रहा करते थे वो बहुत ही छोटा था, उस घर में कोई खिड़की नहीं थी, कोई बाथरूम नहीं था, कोई शौचालय नहीं था। उसी में मां-पिताजी, हम सब भाई-बहन रहा करते थे। घर चलाने के लिए 2-4 पैसे ज्यादा कमाने के लिए मां दूसरों के घर के बर्तन भी मांजा करती थीं, समय निकालकर चरखा भी चलाया करती थीं। पीएम ने लिखा कि मैं अपनी मां की इस अद्धभूत जीवन यात्रा में देश की समूची मातृशक्ति के तप, त्याग और योगदान के दर्शन करता हूं।