सरदार पटेल से लेकर इंदिरा गांधी तक का जिक्र, पढ़ें PM मोदी के मन की खास बातें

Sunday, Oct 28, 2018 - 02:49 PM (IST)

नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय एकता के प्रतीक सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती पर आयोजित ‘एकता के लिए दौड़’ में देशवासियों से बड़ी संख्या में शामिल होने का आह्वान किया और कहा कि 31 अक्तूबर को उनकी प्रतिमा का अनावरण किया जाएगा और यह दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति होगी जो विश्व में देश का मान बढ़ाएगी। मोदी ने रविवार को आकाशवाणी से प्रसारित अपने मासिक कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 49वें संस्करण में कहा कि इस साल भी सरदार पटेल की जयंती पर 31 अक्तूबर को ‘एकता के लिए दौड़’ कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है।

बता दें कि इस बार सरदार पटेल की जयंती विशेष होगी क्योंकि उस दिन गुजरात में नर्मदा नदी के तट पर स्थापित उनकी दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया जाएगा। यह प्रतिमा अमेरिका के स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी से दो गुनी ऊंची है। मोदी ने कहा कि हर भारतीय इस बात पर अब गर्व कर पाएगा कि दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा भारत की धरती पर है। यह उन सरदार पटेल की मूर्ति है जो जमीन से जुड़े थे और अब आसमान की भी शोभा बढ़ाएंगे।

मुझे आशा है कि देश का हर नागरिक ‘मां-भारती’की इस महान उपलब्धि को लेकर विश्व के सामने गर्व के साथ सीना तानकर, सर ऊंचा करके इसका गौरवगान करेगा। मोदी ने कहा कि जब देश आजाद हुआ था, उस समय हमारे सामने एक ऐसे भारत का नक्शा था जो कई भागों में बंटा हुआ था। तब 550 से ज्यादा देशी रियासतें थीं। भारत को लेकर अंग्रेजों की रुचि खत्म हो चुकी थी, लेकिन वो इस देश को छिन्न-भिन्न करके छोड़ना चाहते थे। राष्ट्रीय एकता के प्रतीक सरदार पटेल को उसी समय गांधी जी ने बहुत बड़ी जिम्मेदारी देते हुए कहा था कि राज्यों की समस्याएं विकट हैं और केवल आप ही इनका हल निकाल सकते हैं। सरदार पटेल ने सभी रियासतों का भारत में विलय कराया और देश को एकता के सूत्र में पिरोने के असंभव कार्य को पूरा कर दिखाया।

इंफेन्ट्री डे पर सेना को सलाम 
मोदी ने अग्रिम मोर्चे पर रहकर सीमाओं की रक्षा करने वाले सैनिकों और उनके परिवारों को याद करते हुए उन्हें सलाम किया है। मोदी ने इंफेन्ट्री डे का उल्लेख करते हुए कहा कि देशवासियों ने कल ही इंफेन्ट्री डे मनाया है। मैं उन सभी को नमन करता हूं जो भारतीय सेना का हिस्सा हैं। मैं अपने सैनिकों के परिवार को भी उनके साहस के लिए सलाम करता हूं। इस दिन के महत्व का उल्लेख करते हुए उन्होंने पूछा कि क्या आप जानते हैं कि हम सब हिन्दुस्तान के नागरिक ये दिन क्यों मानते हैं? यह वही दिन है, जब भारतीय सेना के जवान कश्मीर की धरती पर उतरे थे और घुसपैठियों से घाटी की रक्षा की थी।

पराली न जलाने का वचन लेने को कहा
मोदी ने धान की पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए पंजाब के एक किसान गुरबचन सिंह की मिसाल देते हुए देशवासियों से इसका अनुसरण करने को कहा है। मोदी ने कहा कि गुरबचन ने एक ऐसा असाधारण कार्य किया है जो सबके लिए मिसाल है और इससे लोगों की मानसिकता बदलने तथा समाज को नई दिशा देने में मदद मिली है।

किसान ने बेटे की शादी में रखी अजीब शर्त
प्रधानमंत्री ने बताया कि कुछ दिन पहले वे पंजाब के किसान भाई गुरबचन सिंह के बारे में पढ़ रहे थे। एक सामान्य और परिश्रमी किसान गुरबचन सिंह के बेटे का विवाह था। विवाह से पहले उन्होंने दुल्हन के माता-पिता से कहा था कि हम शादी सादगी से करेंगे। फिर अचानक उन्होंने कहा कि मेरी एक शर्त है। आजकल जब शादी-ब्याह के समय शर्त की बात आती है तो आमतौर पर लगता यही है कि सामने वाला कोई बड़ी मांग करने वाला है। कुछ ऐसी चीजें मांगेगा जो शायद बेटी के परिवारजनों के लिए मुश्किल हो जाएं, लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा ये तो भाई गुरबचन सिंह थे सादे-सीधे किसान, उन्होंने दुल्हन के पिता से जो कहा, जो शर्त रखी, वो हमारे समाज की सच्ची ताकत है। गुरबचन सिंह ने कहा कि आप मुझे वचन दीजिए कि अब आप खेत में पराली नहीं जलाएंगे। मोदी ने कहा कि आप कल्पना कर सकते हैं कितनी बड़ी सामाजिक ताकत है इसमें। गुरबचन सिंह की ये बात लगती तो बहुत मामूली है लेकिन ये बताती है कि उनका व्यक्तित्व कितना विशाल है।

इंदिरा गांधी को श्रद्धांजलि
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 31 अक्टूबर को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि है मैं उनको अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। 

साथ ही मोदी ने कहा कि इस वर्ष भारत को भुवनेश्वर में पुरुष हॉकी वर्ल्ड कप 2018 के आयोजन का सौभाग्य मिला है। विश्व हॉकी कप 28 नवम्बर से प्रारंभ होकर 16 दिसम्बर तक चलेगा। उन्होंने कहा कि आज सारा विश्व पर्यावरण संरक्षण की चर्चा कर रहे हैं और संतुलित जीवनशैली के लिए नए रास्ते ढूंढ रहे हैं। हमारे आदिवासी भाई-बहन पेड़-पौधों और फूलों की पूजा देवी-देवताओं की तरह करते हैं। यह आश्चर्य की बात नहीं है कि हमारे सबसे पहले स्वतंत्र सेनानियों में आदिवासी समुदाय के लोग ही थे। भगवान बिरसा मुंडा को कौन भूल सकता है।

Seema Sharma

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