ऑफ द रिकॉर्डः CBI संकट से PM का किनारा, डोभाल व मिश्रा ने देखा किसी और नजर से

Thursday, Oct 25, 2018 - 10:09 AM (IST)

नेशनल डेस्कः  प्रधानमंत्री को कठोर, मजबूत और व्यर्थ की बातें न करने वाले व्यक्ति के रूप में जाना जाता है, जिन्होंने वरिष्ठ मंत्रियों पर अंकुश लगा रखा है और कई नौकरशाहों को बाहर का रास्ता दिखा चुके हैं, लेकिन जब प्रत्यक्ष रूप से उनके तहत सबसे शक्तिशाली और निर्णायक विंग सी.बी.आई. के संकट से निपटने का मामला आया तो उन्होंने इससे किनारा कर लिया।सी.बी.आई. का संकट पिछले एक वर्ष से जारी है। सी.बी.आई. के निदेशक आलोक वर्मा और नंबर दो अधिकारी राकेश अस्थाना के बीच जंग उस समय निम्न स्तर पर पहुंच गई, जब उन्होंने कुछ संयुक्त निदेशकों और अन्य अधिकारियों की पदोन्नति के मामले पर बुलाई गई केंद्रीय सतर्कता आयोग (सी.वी.सी.) की महत्वपूर्ण बैठक में खुलेआम लड़ना शुरू कर दिया।

वर्मा ने बैठक में अपने जूनियर की मौजूदगी पर सवाल उठाया, जिससे टकराव बढ़ गया। प्रधानमंत्री मोदी के एक अन्य विश्वासपात्र ए.के. शर्मा (जो एक संयुक्त निदेशक हैं) भी राकेश अस्थाना के खिलाफ वर्मा के साथ जा मिले। अस्थाना के खिलाफ कुछ वरिष्ठ अधिकारियों के वर्मा के साथ मिलने का एक कारण अस्थाना का व्यवहार है, जो खुद को सी.बी.आई. का ‘पदेन प्रमुख’ (डिफैक्टो   सी.बी.आई. चीफ) समझते रहे। वर्मा को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल का आशीर्वाद प्राप्त है, जबकि अस्थाना की मदद प्रधानमंत्री के उपप्रधान सचिव पी.के. मिश्रा करते रहे।

समस्या को हल करना कठिन हो गया, क्योंकि प्रधानमंत्री दोनों अधिकारियों के बीच जंग में सुलह कराने के अनिच्छुक थे। वर्मा जानते थे कि 6 जनवरी, 2019 को उनके सेवानिवृत्त होने के बाद नए निदेशक के रूप में अस्थाना उनके खून के प्यासे होंगे, इसलिए वर्मा ने अस्थाना की कथित अनियमितताओं के सबूत जुटा कर पहले ही उनकी कब्र खोदने का फैसला किया, लेकिन प्रधानमंत्री गंभीर होती जा रही स्थिति को जानते थे। उन्होंने मिश्रा और डोभाल को संकट से निपटने की अनुमति दी, जो अब सार्वजनिक रूप से सामने आ गई। 

Seema Sharma

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