भारत में भी प्लाज्मा थेरेपी से खत्म होगा वायरस!, 800 ML खून से कोरोना का इलाज

Thursday, Apr 16, 2020 - 12:49 PM (IST)

नेशनल डेस्कः देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। देश में अब तक कोरोना मरीजों की संख्या 12 हजार के पार चली गई है और करीब 414 लोगों की मौत हो गई है। वहीं खबर है किकोरोना वायरस के मरीजों का भारत में जल्द ही प्लाज्मा थेरेपी से इलाज शुरू हो सकता है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने कोरोना वायरस से गंभीर रूप से बीमार लोगों पर प्लाज्मा तकनीक के ट्रायल को मंजूरी दे दी है। प्लाज्मा थेरेपी में कोरोना से ठीक हो चुके लोगों के खून से प्लाज्मा लेकर कोरोना मरीजों का इलाज किया जाता है। 

 

प्लाज्मा थेरेपी से ऐसे इलाज
प्लाज्मा थेरेपी में कोरोना वायरस से पूरी तरह ठीक हो चुके लोगों का 800 मिली. खून लिया जाता है और एंटीबॉडीज से युक्त प्लाज्मा अलग कर लिया जाता है। इसके बाद प्लाज्मा को कोरोना वायरस के मरीजों में इंजेक्ट किया जाता है। जब शरीर किसी बैक्टीरिया या रोगाणु के संपर्क में आता है तो प्रतिरक्षा तंत्र अपने आप सक्रिय हो जाता है और एंटीबॉडीज रिलीज होने लगती है। दरअसल कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों के प्लाज्मा में ऐसी एंटीबॉडीज होती हैं जो पहले ही कोरोना वायरस से लड़ चुकी होती हैं। स्टडीज से पता चलता है कि किसी प्रभावी दवा या वैक्सीन की गैर-मौजूदगी में प्लाज्मा थेरेपी कोरोना के इलाज में काफी हद तक असरदार साबित हो रही है। चीन, दक्षिण कोरिया, यूएस और यूके भी इसका परीक्षण कर रहे हैं। भारत भी इस तकनीक के ट्रायल पर आगे बढ़ रहा है।

 

पहले क्लीनिकल ट्रायल 
प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल करने से पहले अस्पतालों और संस्थाओं को इंस्टिट्यूशनल एथिक्स कमिटी (आईईसी) के प्रोटोकॉल के तहत क्लीनिकल ट्रायल करना होगा। ट्रायल शुरू करने से पहले ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) की अनुमति लेनी होगी. इसके अलावा, अस्पतालों का क्लीनिकल ट्रायल रजिस्ट्री ऑफ इंडिया में रजिस्टर होना भी जरूरी है।
ICMR के मुताबिक फिलहाल क्लीनिकल ट्रायल से बाहर प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।

 

केरल पहला राज्य जहां प्लाज्मा थेरेपी का परीक्षण शुरू
केरल देश का पहला राज्य है जिसने प्लाज्मा थेरेपी पर रिसर्च और प्रोटोकॉल को शुरू कर दिया है। आईसीएमआर ने केरल को प्लाज्मा थेरेपी के परीक्षण के लिए 11 अप्रैल को मंजूरी दे दी है, हालांकि, DCGI (ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया) की तरफ से हरी झंडी मिलना अभी बाकी है। DCGI ने ब्लड डोनेट करने को लेकर कई नियम बनाए हैं, जैसे ब्लड डोनर का पिछले तीन महीनों में विदेशी यात्रा का कोई रिकॉर्ड नहीं होना चाहिए। वहीं दिल्ली में भी प्लाज्मा थेरेपी के परीक्षण की तैयारी की जा रही है। आईसीएमआर के सूत्रों ने बताया कि कुछ दिनों में पता चल जाएगा कि देश भर में कुल कितने ट्रायल कराए जाएंगे। बता दें कि 2003 में सार्स महामारी, एच-1एन-1 इन्फ्लुएंजा और 2012 में मार्स की महामारी के दौरान भी प्लाज्मा थेरेपी पर स्टडीज की गई थी।

Seema Sharma

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