Pitru paksha 2019: एक भी रूपया खर्च किए बिना पाएं श्राद्ध का पूरा फल

Thursday, Sep 26, 2019 - 07:47 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

वेदों में पितरों को वसुगण, पितामहों को रुद्र्गण और प्रपितामाहों को आदित्यगण कह कर संबोधित किया गया है। ये सभी पितृ जगत गुरु श्री हरिविष्णु के ही अंश हैं। श्राद्ध पक्ष में आने वाली अमावस्या तिथि को बहुत खास माना जाता है। लोक मान्यता के अनुसार पितृपक्ष के 16 दिन पितर अपने लोक से धरती पर आते हैं। अमावस्या के दिन उनके वंशज उन्हें विदा करते हैं। 28 सितंबर को पितृमोक्ष अमावस्या है। 20 साल बाद सर्व पितृमोक्ष अमावस्या शनिवार के दिन पड़ रही है। विद्वानों का कहना है पितृपक्ष में शनिवार को अमावस्या का आना सौभाग्यशाली माना जाता है।

हिंदू शास्त्रों में कहा गया है पित्रो वै देवः, पित्रो जनार्दन : पित्रो वै ब्रह्म ! 
अर्थात-
पितृ ही देव हैं, पितृ ही जनार्दन हैं, पितृ ही ब्रह्म हैं।

श्राद्ध के उपलक्ष्य में विशेष
‘निर्णय सिन्धु’ के अनुसार जिस व्यक्ति के पास श्राद्ध के लिए कुछ भी न हो वह पितरों का ध्यान करके गौमाता को श्रद्धापूर्वक घास खिलाएं तो श्राद्ध का पूरा फल मिलता है। श्राद्ध के अनुष्ठान में तीन बलियां यानी तीन भोजन भाग (पिण्ड) 1. गौ, 2. श्वान, 3. काक के लिए रखे जाते हैं।

गाय से जुड़े शुभ शकुन-
गौ माता को हर रोज़ रोटी खिलाने से संतान और माता-पिता का प्रेम बना रहता है। परिवार में अपनेपन की भावना कायम रहती है।

गर्मियों में गौ माता को शीतल जल पिलाएं, गुड़ न खिलाएं। 

नवग्रह को शांत करने के लिए हर रोज़ सुबह गाय की पूजा करें।

यदि रास्ते में जाते समय गौमाता आती हुई दिखाई दें तो उन्हें अपने दाहिने ओर से जाने देना चाहिए। यात्रा सफल होगी।

यदि यात्रा के प्रारंभ में गाय सामने पड़ जाए अथवा अपने बछड़े को दूध पिलाती हुई सामने दिखाई दे तो यात्रा सफल होती है।

जिस घर में गाय होती है, उसमें वास्तु दोष स्वत: ही समाप्त हो जाता है।  

यदि बुरे स्वप्न दिखाई दें तो मनुष्य गौमाता का नाम ले। बुरे स्वप्न दिखने बंद हो जाएंगे।

Niyati Bhandari

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