PGI ने 300 बच्चों के चहेरे पर लाई मुस्कान, कर दिखाया यह बड़ा कारनामा

Sunday, Dec 11, 2016 - 08:45 AM (IST)

चंडीगढ़(रवि) : भारत में हर वर्ष 35 हजार बच्चे कटे होंठ व तालू के साथ जन्म लेते हैं। लेकिन इतनी बड़ी संख्या होने के बाद भी इनमें से 50 प्रतिशत बच्चे बिना इलाज के ही रह जाते हैं। पी.जी.आई. के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के पूर्व एसोसिएट प्रोफैसर डा. सुरिंद्र मक्कड़ ने बताया की इतनी बड़ी संख्या होने के बावजूद लोगों में इस बीमारी को लेकर जागरुकता नहीं है। यही वजह है कि इलाज होने के बाद भी बच्चे इस बीमारी के साथ जी रहे हैं। डा. मक्कड़ ने बताया कि ट्राईसिटी का इंस्टीट्यूट ऑफ सर्जरी पिछले तीन वर्षों से ऐसे बच्चों के चेहरे पर मुस्कान लाने का काम रहा है। 

 

यह संस्थान इन बच्चों का मुफ्त ऑप्रेशन कर रहा है जिनके होंठ और तालू जन्म से कटे होते हैं। इन बच्चों के इलाज में यू.एस. बेस्ड स्माइल ट्रेन नामक संस्था उनकी सहायता कर रही है। ऑपरेशन पर आने वाला सारा खर्चा स्माइल ट्रेन ही उठाती है। डा. मक्कड़ ने बताया कि इस योजना का फायदा ज्यादा से ज्यादा बच्चों को को मिल सके इसके लिए उन्होंने हरियाणा और पंजाब सरकार से भी सहायता ली है, जिसके तहत प्रदेश सरकारों ने आंगवाड़ी वर्कर्स को भी ये आदेश जारी किया कि उन्हें अपने क्षेत्र मे कोई इस बीमारी से पीड़ित बच्चा मिलता है तो वे उसे तुरंत उन्हें यहां भेजे ताकी उनका इलाज किया जा सके।

 

पंजाब, हरियाणा, यू.पी से आते हैं केस :
ट्राईसिटी के इंस्टीच्यूट ऑफ सर्जरी में अब तक 300 ऐसे बच्चों का मुफ्त इलाज किया जा चुका है। इन मरीजों में न सिर्फ चंडीगढ़ बल्कि पंजाब, हरियाणा और यू.पी. से लोग बच्चों का इलाज करवाने आते हैं। डा. मक्कड़ की मानें तो जन्म से होने वाली इस बीमारी में कटे होंठ का ऑप्रेशन बच्चे के जन्म के तीन से 6 माह के भीतर हो जाना चाहिए और तालू का ऑप्रेशन 9 से 18 माह की उम्र में। साथ ही उन्होंने बताया कि इलाज जितना जल्दी होगा सर्जरी उतनी अच्छी होती है। वहीं ज्यादा उम्र में इलाज तो संभव है लेकिन सर्जरी उतने अच्छे रिजल्ट नहीं दे पाती। मैक्रोफेशियल सर्जरी से बच्चे के कटे होंठ को जोड़ा जाता है जिसके लिए सर्जन, प्लास्टिक सर्जन, डैंटिस्ट और न्यूरोलॉजिस्ट की मदद ली जाती है। 

 

5 पांच वर्ष की होने के बावजूद सेहजल बोल नहीं पाती थी। पिता हरी सिंह ने बताया कि उन्हें एक दिन उनके पड़ोसी ने बताया कि सेहजल का तालू कटा हुआ है जिस कारण वह बोल नहीं पाती। लेकिन पिछले ही यू.पी. के बदायूं से चंडीगढ़ इलाज के लिए आए हरी की बेटी एक ऑप्रैशन के बाद ही अब ठीक है साथ ही आम बच्चों की तरह बोल सकती है। हरी सिंह ने बताया कि उन्होंने कभी इस बीमारी के बारे में सुना भी नहीं थी। लेकिन यहां आने के बाद उन्हें इस बीमारी के बारे में पता चला। डा. मक्कड़ ने बताया कि छोटी उम्र में ऑपरेशन ज्यादा अच्छा होता है, वह अभी तक जहां 300 बच्चों के चहरों पर रौनक ला चुके हैं। वहीं पिछले दिनों उन्होंने संस्थान के सबसे छोटे 5 महीने के बच्चे रुद्र के कटे होंठों का सफल इलाज किया है। उन्होंने बताया कि लोगों में अवेयरनैस फैलाने के लिए वह रोटरी क्लब के साथ समय-समय पर जागरुकता शिविर भी लगाते हैं।  
 

Advertising