कमाल का कारनामा! डाक्टरों ने कुछ इस तरह बचाई मां और बच्चे की जान

Saturday, Dec 10, 2016 - 01:49 PM (IST)

चंडीगढ़(रवि) : होशियारपुर की 26 वर्षीय ममता 7 महीने की गर्भवती थी जब उसे पता चला कि उसके दिल में छेद है और वाल्व लगेगा। ममता के पति शैलेेंद्र कुमार ने बताया कि गर्भवती होने की वजह से डाक्टरों ने साफ बोल दिया कि या बच्चा बचेगा या फिर पत्नी। जिसके बाद डाक्टरों ने उन्हें अमृतसर गुरुनानक अस्पताल रैफर कर दिया, लेकिन हालत गंभीर होने की वजह से ममता को 10 दिन बाद वहां से पी.जी.आई. रैफर कर दिया गया। जहां डाक्टरों ने चैकअप कर बताया कि यह केस काफी क्रिटिकल है। जिससे मां और बच्चे दोनों की जान को खतरा है। 

 

कॉर्डियक विभाग के सीनियर कंसलटैंट डाक्टर सचिन महाजन और गॉयनी विभाग की हैड डाक्टर वनीता सुरी ने इस केस को स्टडी किया जिसके बाद फैसला लिया गया कि डिलीवरी के वक्त ही ममता के हार्ट में वाल्व लगाया जाए। डाक्टर महाजन ने बताया कि इस तरह के केस काफी रेयर होते हैं वहीं इस केस में अगर वाल्व डिलीवरी के वक्त नहीं लगाते तो महिला की मौत हो सकती थी। इसलिए दोनों ऑपरेशन एक साथ ही किए गए। डाक्टर सूरी ने बताया कि केस काफी चुनौतियों से भरा था लेकिन हमने चुनौतियों को स्वीकार किया और आज मां और नवजात स्वस्थ है। 

 

डेढ़ लाख की मदद :
होशियारपुर के रहने वाला शैलेंद्र मजदूरी का काम करता है। शैलेंद्र ने बताया उसने और उसके परिजनों ने इलाज के लिए आस ही छोड़ दी थी। पी.जी.आई. आने के बाद डाक्टरों ने करीब डेढ़ लाख रुपए का खर्च बताया था। लेकिन पी.जी.आई. के पुअर पेशेंट सेल ने मजह तीन दिन में डेढ़ लाख रुपए की मदद कर मां और बच्चे की जान बचाई। पी.जी.आई. पुअर पेशेंट सेल के इंचार्ज डाक्टर विपिन कौशल ने बताया कि सेल में काफी आर्थिक रुप से कमजोर लोग आते है और उनकी यही कोशिश रहती है कि जल्द से जल्द मदद की जाए। लेकिन इस केस में मां और बच्चे की स्थिति काफी गंभीर थी। लेकिन उन्हें खुशी है कि दोनों अब स्वस्थ हैं। 

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