पति की सहमति से दूसरे व्यक्ति के साथ महिला यौन संबंध बनाए तो वह व्यभिचार नहीं: सुप्रीम कोर्ट

Thursday, Aug 02, 2018 - 07:20 PM (IST)

नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने विवाह की पवित्रता की अवधारणा को माना परंतु कहा कि व्यभिचार संबंधी अपराध का कानून पहली नजर में समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है। न्यायालय ने इस प्रावधान को मनमाना बताते हुए कहा कि पति की सहमति से अगर महिला दूसरे विवाहित व्यक्ति के साथ यौन संबंध कायम करती है तो यह व्यभिचार नहीं है। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के नेतृत्व वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 497 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। पीठ प्रावधान के उस हिस्से से भी असहमत थी जिसमें कहा गया है कि यदि एक विवाहित महिला अपने पति की सहमति से किसी विवाहित व्यक्ति के साथ शारीरिक संबंध बनाती है तो उस स्थिति में व्यभिचार का कोई मामला नहीं बनता।
 

पीठ ने धारा 497 के इस पहलू को ‘स्पष्ट रूप से मनमाना’ करार दिया
158 वर्ष पुरानी भारतीय दंड संहिता की धारा 497 कहती है, ‘जो भी किसी ऐसे व्यक्ति के साथ शारीरिक संबंध बनाता है जिसके बारे में वह जानता है या उसके पास यह मानने के लिए कारण है कि वह किसी अन्य पुरुष की पत्नी है, वह संबंध उस व्यक्ति की सहमति के बिना बनाता है, ऐसा शारीरिक संबंध जो कि बलात्कार की श्रेणी में नहीं आता, वह व्यभिचार के अपराध का दोषी होगा।’ पीठ ने धारा 497 के इस पहलू को ‘स्पष्ट रूप से मनमाना’ करार दिया और कहा कि यह विवाहित महिला से इस आधार पर ‘चल सम्पत्ति’ के तौर पर व्यवहार करता है कि अन्य विवाहित व्यक्तियों के साथ उनका संबंध ‘उनके पति की सहमति’ पर निर्भर करता है।

दो अविवाहित वयस्कों के बीच सहमति से बने शारीरिक संबंध पर लागू नहीं होता प्रावधान 
पीठ में न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति इंदू मल्होत्रा भी शामिल थीं। पीठ ने कहा, ‘निश्चित रूप से वैवाहिक पवित्रता का पहलू है लेकिन जिस तरह से प्रावधान अधिनियमित किया जाता है या बनाए रखा जाता है यह अनुच्छेद 14 (संविधान के समानता के अधिकार) के खिलाफ है। अधिवक्ता कलीसवरम राज ने याचिकाकर्ता जोसेफ शाइन की ओर से पेश होते हुए धारा 497 के विभिन्न पहलुओं का उल्लेख किया और कहा कि प्रावधान दो अविवाहित वयस्कों के बीच सहमति से बने शारीरिक संबंध पर लागू नहीं होता और यह विवाहित पुरुषों और महिलाओं से व्यभिचार के अपराध के लिए उनके अभियोजन के संबंध में अलग अलग व्यवहार करता है। उन्होंने कहा कि विवाहित पुरुष पर व्यभिचार के अपराध के लिए मामला चलाया जा सकता है लेकिन ऐसा विवाहित महिलाओं के मामले में नहीं है। उन्होंने धारा से संबंधित विभिन्न विसंगतियों का उल्लेख किया। सुनवाई मध्याहन-भोजन के बाद जारी रहेगी। 

 

shukdev

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