कारगिल युद्ध: दुश्मन को धोखा देने के लिए भेष बदल बन गए थे सरदार!

Tuesday, Jul 26, 2016 - 07:01 PM (IST)

नई दिल्लीः कारगिल युद्ध में शहीद हुए मध्यप्रदेश के मेजर अजय प्रसाद भी उन चुनिंदा सैनिकों में शामिल थे, जिन्होंने कारगिल युद्ध की शुरुआती जंग में दुश्मनों से लोहा लिया था। मेजर अजय की टुकड़ी पाकिस्तानी सेना से मुकाबला करते हुए काफी आगे बढ़ गई थी। इसी दौरान उन्हें अहसास हुआ था कि मुकाबला आतंकियों से नहीं, बल्कि पाकिस्तान सेना से है। ऐसे में उन्होंने ग्राऊंड पर वायुसेना से मदद मांगी। मेजर अजय ने अवंतीपुर में पाकिस्तानी सेना से एक के बाद एक तीन चौकियां छीन लीं, लेकिन दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र होने की वजह से भारतीय वायुसेना की मदद समय पर नहीं मिल सकी और दुश्मनों से लड़ते हुए वे शहीद हो गए।

लिट्टे से लिया लोहा
मेजर अजय प्रसाद के पिता आरएन प्रसाद के मुताबिक, उनका बेटा 1986 में इंडियन मिलिट्री एकेडमी से पास आउट होने के बाद मैकेनाइज्ड इंफेंट्री बटालियन में शामिल हुआ था। 2 साल बाद 1988 में उन्हें शांति सेना के साथ श्रीलंंका भेजा गया। सेना के कमांडो और एडवांस कांबेट ट्रेनिंग का हिस्सा रहे मेजर प्रसाद ने फ्रंट पर रहते हुए लिट्टे और अन्य विद्रोहियों के सामने डटकर मुकाबला किया था। लिट्टे के खिलाफ कार्रवाई में अपनी काबिलियत का लोहा मनवाने वाले मेजर अजय प्रसाद को सेना ने 1992 में एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौपी।

भेष बदलकर बने थे सरदार 
उल्फा उग्रवादियों से मिल रही चुनौतियों से निपटने के लिए मेजर प्रसाद की पोस्टिंग मेघालय में की गई, जहां इस बहादुर आर्मी अफसर पर उग्रवादियों की धमकियों का कोई असर नहीं हुआ और उन्होंने मुठभेड जारी रखी। सेना जानती थी कि मेजर प्रसाद उग्रवादियों के निशाने पर है। इस वजह से उनकी सुरक्षा पर खास ध्यान रखा जाता था। उनकी जान बचाने के लिए सेना ने उन्हें भेष बदलने का आदेश दे दिया था। 6 फीट लंबे मेजर अजय को सरदार बनना पड़ा और दाढ़ी बढ़ानी पड़ी। उग्रवादियों को गुमराह करने के लिए आर्मी उनका रिजर्वेशन ट्रेन से कराती थी और भेष बदलवाकर हेलीकॉप्टर या विमान से भेजती थी।

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