पर्रिकर ने इस फाइल पर किए आखिरी हस्ताक्षर, BJP नेता ने बताया-क्यों बीमार रहने पर भी रहे ऑन ड्यूटी
Monday, Mar 18, 2019 - 10:57 AM (IST)
पणजीः गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पार्रिकर का रविवार को उनके निजी आवास पर निधन हो गया। 63 वर्षीय पार्रिकर चार बार गोवा के मुख्यमंत्री और पूर्व रक्षा मंत्री रहे। पार्रिकर फरवरी 2018 से ही अग्नाशय संबंधी बीमारी से जूझ रहे थे। पिछले एक साल से बीमार चल रहे भाजपा के वरिष्ठ नेता का स्वास्थ्य दो दिन पहले बहुत बिगड़ गया था। पार्रिकर शनिवार देर रात से ही जीवनरक्षक प्रणाली पर थे। पार्रिकर ने अमेरिका से वापिस लौटे तो नाक में पाइप लगाकर वे कई कार्यक्रमों में शामिल हुए थे, उन्होंने एक कार्यक्रम में कहा भी था कि मैं अपनी आखिरी सांस तक गोवा की जनता की सेवा करता रहूंगा। भाजपा सरकार के मंत्री विश्वजीत राणे ने एक न्यूज चैनल को बताया कि मैं शायद उनके काम के समर्पण को नहीं समझ पाता अगर उस दिन अस्पताल में उनसे मिलने नहीं गया होता।
राणे ने बताया कि वह अस्पतालों से जुड़ी एक फाइल लेकर पार्रिकर के पास गया था जिस पर उनके साइन की जरूरत थी। मैं उनके दरवाजे के पास खड़ा हो गया तो उन्होंने मुझे अंदर बुलाया और कहा कि वास्तव में मैं इस फाइल पर साइन करना चाहता था। राणे ने कहा कि यह आखिरी फाइल थी, जिस पर उन्होंने हस्ताक्षर किए। उन्होंनने कहा कि इससे पता चलता है कि पार्रिकर अपने काम को लेकर किस कद्र समर्पित थे कि वह हर उस काम को अपने आखिरी समय तक पूरा करना चाहते थे जो बेहद जरूरी है। कैंसर का पता चलने पर पार्रिकर ने आराम की जगह काम क्यों चुना पर राणे ने कहा कि दरअसल पार्रिकर ने खुद कहा था कि वे अपनी आखिरी सांस तक देस की सेवा करना चाहते हैं। लोगों की सेवा भावना उनके अंदर कूट-कूट कर भरी हुई थी और यही एक कारण था कि इतने अस्वस्थ रहने पर भी वह अपने काम से दूर नहीं रह पाए।
पार्रिकर के परिवार में दो पुत्र और उनका परिवार है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारक के तौर पर शुरुआत कर गोवा के मुख्यमंत्री और देश के रक्षा मंत्री बनने वाले र्पिरकर की छवि हमेशा ही बहुत सरल और सामान्य व्यक्ति की रही। वह सर्वस्वीकार्य नेता थे। न सिर्फ भाजपा बल्कि दूसरे दलों के लोग भी उनका मान-सम्मान करते थे। उन्होंने गोवा में भाजपा को मजबूत आधार प्रदान किया। लंबे समय तक कांग्रेस का गढ़ रहने वाले गोवा में क्षेत्रीय संगठनों की पकड़ के बावजूद भाजपा उनके कारण मजबूत हुई। मध्यमर्विगय परिवार में 13 दिसंबर, 1955 में जन्मे पार्रिकर ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारक के रूप में करियर शुरू किया। यहां तक कि आईआईटी बंबई से स्नातक करने के बाद भी वह संघ से जुड़े रहे। सक्रिय राजनीति में पार्रिकर का पदार्पण 1994 में पणजी सीट से भाजपा टिकट पर चुनाव जीतने के साथ हुआ। वह 2014 से 2017 तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में रक्षा मंत्री रहे।