पार्रिकर स्कूल के दिनों में ही जुड़ गए थे RSS से, सर्जिकल स्ट्राइक में निभाया अहम रोल

Thursday, Mar 16, 2017 - 04:41 PM (IST)

पणजी: मनोहर पर्रिकर ने राज्य में गठबंधन बनाकर और विधानसभा में बहुमत साबित कर एक बार फिर साबित किया कि वह गोवा के लिए भाजपा की तरफ से सबसे सही पसंद है, जहां इस तटीय राज्य में एक तरह से यह उनकी घरवापसी और मुख्यमंत्री के तौर पर अगली पारी होगी। चुनावों में स्पष्ट बहुमत पाने में विफल रही भाजपा ने न सिर्फ दो क्षेत्रीय दलों का समर्थन हासिल किया बल्कि दो निर्दलीय विधायकों को भी अपने पाले में मिलाकर कांग्रेस की सरकार बनाने की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। 40 सदस्यों वाली विधानसभा के लिये हाल में हुए चुनावों में कांग्रेस 17 सीटें हासिल कर सबसे बड़े दल के तौर पर उभरी थी।

पहले ही हो चुकी थी नाम की घोषणा
चुनाव प्रचार की शुरुआत से ही भाजपा ने एक संदेश देना शुरू कर दिया था कि अगर वह जीती तो पार्रिकर ही सरकार का नेतृत्व करेंगे। पारिर्कर ने भाजपा के लिए आक्रामक प्रचार किया। आईआईटी बॉम्बे से इंजीनियरिंग करने वाले पार्रिकर ने चुनावों के बाद सियासी कौशल और क्षमता का शानदार प्रदर्शन करते हुए महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (एमजीपी) और गोवा फॉरवर्ड पार्टी (जीएफपी) से गठबंधन किया।

राजनीतिक सफर
उत्तरी गोवा के मापुसा में मध्यमवर्गीय कारोबारी परिवार में जन्मे मनोहर गोपालकृष्ण प्रभु पार्रिकर संघ के कार्यकर्त्ता के तौर पर भाजपा से जुड़े।  पार्रिकर स्कूल के दिनों से ही संघ से जुड़ गए थे और उनका हमेशा ये मानना है कि संगठन से मिले प्रशिक्षण और विचारधारा की वजह से उन्हें सार्वजनिक जीवन में अच्छा करने और सबसे महत्वपूर्ण फैसला लेने में काफी मदद मिली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवंबर 2014 में रक्षामंत्री के तौर पर पार्रिकर का चयन किया और अक्सर उनकी कड़ी मेहनत के लिए तारीफ भी करते हैं। खासतौर पर पिछले साल हुई सर्जिकल स्ट्राइक के संदर्भ में।

1994 में गोवा विधानसभा के लिए चुने गए
पार्रिकर पहली बार 1994 में गोवा विधानसभा के लिए चुने गए थे। उन्होंने जून 1999 से नवंबर 1999 तक नेता विपक्ष की भूमिका भी निभाई। मुख्यमंत्री के तौर पर पार्रिकर का पहला कार्यकाल 24 अक्तूबर 2000 से 27 फरवरी 2002 तक रहा। इसके बाद पांच जून 2002 से 29 जनवरी 2005 तक उन्होंने फिर से गोवा के मुख्यमंत्री पद की कमान संभाली। साल 2012 में उन्होंने सफलता पूर्वक भाजपा को बहुमत दिलाया और तीसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने और नवंबर 2014 तक इस पद पर रहे जब उन्हें मोदी ने रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपने के लिए केंद्र में बुला लिया। अक्सर हर सप्ताहांत पर गोवा लौट जाने के लिए आलोचना झेलने वाले पर्रिकर ने कभी भी अपने गृह राज्य लौटने की इच्छा को छिपाया नहीं। एक बार उन्होंने कहा था कि उन्हें गोवा के खाने की कमी बहुत खलती है। पार्टी नेताओं का कहना था कि भाजपा का घोषणा पत्र और प्रचार की रणनीति पर्रिकर के दिशानिर्देशन में तैयार हुये थे जिसमें लक्ष्मीकांत पारसेकर की भूमिका नहीं थी जिन्हें पर्रिकर के दिल्ली जाने के बाद मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। पारसेकर इस बार चुनाव हार गये। वर्ष 2001 में पर्रिकर की पत्नी का निधन हो गया था, उनके दो बेटे उत्पल और अभिजीत हैं।

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