केंद्र ने न्यायालय में कहा : कानून बनाने की शक्ति संसद के पास, प्राधिकार निर्देश नहीं दे सकता

Monday, Oct 17, 2022 - 11:20 PM (IST)

नेशनल डेस्क : केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय में दायर एक हलफनामे में कहा है कि कानून बनाने का संप्रभु अधिकार संसद के पास है और कोई भी बाहरी प्राधिकार इसे कानून बनाने के लिए निर्देश नहीं दे सकता है। केंद्र सरकार ने यह दलील अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर उन याचिकाओं के जवाब में दी है जिनमें सरकार को तलाक, गोद लेने, उत्तराधिकार, शादी की उम्र और गुजारा भत्ता आदि के लिए धर्म एवं लिंग तटस्थ एकसमान कानून बनाने की खातिर निर्देश दिए जाने का अनुरोध किया गया है।

केंद्र ने पिछले सप्ताह दायर एक हलफनामे में कहा कि कानून की एक तय स्थिति है और विभिन्न निर्णयों में कहा गया है कि हमारी संवैधानिक योजना के तहत, संसद को कानून बनाने के लिए संप्रभु शक्ति है और कोई भी बाहरी शक्ति या प्राधिकार किसी खास कानून के लिए निर्देश नहीं दे सकता है। हलफनामे में कहा गया है कि यह लोगों द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों के निर्णय का नीतिगत मामला है और इस संबंध में अदालत द्वारा कोई निर्देश नहीं जारी किया जा सकता है।

यह विधायिका पर है कि वह कोई कानून बनाए या नहीं बनाए। इसके अलावा, आदेशों में यह माना गया है कि जनहित याचिका (पीआईएल) सिर्फ समाचार पत्रों की खबरों के आधार पर नहीं दायर की जानी चाहिए। उपाध्याय ने वकील अश्विनी कुमार दुबे के जरिए ऐसे कानूनों का अनुरोध करते हुए पांच अलग-अलग याचिकाएं दायर की हैं।

Parveen Kumar

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